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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-आमिष शब्द | २३ मूल : आमिषं मञ्जुलाकार-रूपादौ भोग्यवस्तुनि । लोभ-संचय - उत्कोच - संभोगे-मांसलाभयोः ॥११६।। लाभे कामगुणे रूपे भोजनेऽस्त्री प्रयुज्यते । आमोदः सुमहद् गन्धे हर्षे गन्धेऽतिदूरगै ॥११७।। हिन्दी टीका-आमिष शब्द नपुंसक है और उसके बारह अर्थ होते हैं-१. मञ्जुलाकार (सुन्दर आकृति) २. मञ्जुल रूपादि (सौन्दर्य वगैरह) ३. भोग्यवस्तु (भोग करने योग्य वस्तु) ४. लोभ, ५. संचय (संग्रह इकट्ठा करना) ६. उत्कोच (घूस लांच देना) ७. संभोग (विषय भोग) ८. मांस, ६. लाभ, उनमें लाभ और १०. काम-गुण, ११ रूप (सौन्दर्य) और १२. भोजन इन तीन अर्थों में आमिष शब्द पुल्लिग और नपुंसक माना जाता है । आमोद शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सुमहद् गन्ध (अत्यन्त खुशबू) २. हर्ष (आनन्द) और ३. अतिदूरग गन्ध (अत्यधिक दूर तक जाने वाली खुशबू)। इस प्रकार आमिष शब्द के बारह और आमोद शब्द के तीन अर्थ समझना। मूल : आम्नाय - आगमे वंशे सम्प्रदाये कुलक्रमे । आयो धनागमे लाभे पुमान् स्त्रीगृहरक्षिणि ॥११॥ आयतिः प्रापणे दैर्घ्य भविष्यत्काल-संगयोः । आयत्ति शयने स्नेहे भविष्यत्काल दैर्घ्ययोः ॥११॥ हिन्दी टीका - आम्नाय शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं --१. आगम (वेद) २. वंश (कुल) ३. संप्रदाय (मजहब) और ४. कुलक्रम (वंश परम्परा) । आय शब्द भी पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं –१. धनागम (धन प्राप्ति) २. लाभ, ३. स्त्री, ४. गृह (घर) और ५. रक्षक (रक्षा करने वाला) आयति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. प्रापण (प्राप्त करना) २. दैर्ध्य (लम्बाई) ३. भविष्यत्काल (आगामी काल) और ४. संग (संगति)। इसी प्रकार आयत्ति शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं- १. शयन (शयन करना, सोना) २. स्नेह (प्रेम) ३. भविष्यत्काल और ४. देयं (विस्तार)। इस तरह आयति और आयत्ति इन दोनों शब्दों के चार-चार अर्थ जानना। आङ- पूर्वक यम् धातु से क्तिन् प्रत्यय करने से आयति शब्द और आङ पूर्वक यत् धातु से क्तिन् प्रत्यय करने से आयत्ति शब्द बनता है। प्रभावे वासरे सीम्नि स्त्रियां शक्ति वशित्वयोः । आयोगो गन्धमाल्योपहारे व्यापार-रोगयोः ॥१२०॥ आकरः पुंसि सन्दोहे श्रेष्ठे खनौ बुधैः स्मृतः। आकर्षः शारिफलके देवने पाशके पुमान् ॥१२१॥ हिन्दी टीका-आयत्ति शब्द के और भी छह अर्थ होते हैं-१. प्रभाव (प्रभुत्व-आधिपत्य) २. वासर (दिन-वार) ३. सीमा (हद-अवधि) ४. स्त्री (महिला) ५. शक्ति (सामर्थ्य) और ६. वशित्व (अधीनता)। आयोग शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. गन्ध, २. माल्य (माला) ३. उपहार (भेंट) ४. व्यापार (उद्योग धन्धा) और ५. रोग (व्याधि)। आकर शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं.-१. सन्दोह (समूह) २. श्रेष्ठ (बड़ा पूज्य) ३. खनि (खान)। आकर्ष शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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