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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-साधु शब्द | ३७३ (सबूत) ६. सिद्धि (सिद्धाई) १०. सैन्य ११. निषेध (मना करना, ना पाड़ना) १२. अनुगम (संक्षेप) १३. वित्त (धन) १४. योनि (भग) १५. निष्पादन (निष्पन्न करना) और १६. जव (वेग)। साधिष्ठ शब्द १. न्याय्य (न्यायोचित) २. अत्यार्य (अत्यन्त श्रेष्ठ) तथा ३. दृढ़तम (अत्यन्त मजबूत) अर्थ में वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। मूल : साधुर्मु नौ जिने सभ्ये पुंस्युत्तमकुलोद्भवे । साधुवाहो विनीताश्वे तथा सुन्दरवाहने ।।२१६८।। साध्यः पुंसि सुरे योगविशेषे गणदेवते । वायलिंगस्त्वसौ मन्त्रविशेष-साधनीययोः ।।२१६६।। हिन्दी टीका-साधु शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं--१. मुनि, २. जिन (भगवान तीर्थकर) ३. सभ्य (शिष्ट) और ४. उत्तमकलोदभव (उत्तम कल में उत्पन्न-कलीन)। साधवाह शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं---१. विनीताश्व (विनीत-शान्त घोड़ा) और २. सुन्दर वाहन (सुन्दर सवारी)। पुल्लिग साध्य शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. सुर (देवता) २. योगविशेष और ३. गणदैवत (गन्धर्वादि गण देवता) किन्तु ४. मन्त्रविशेष और ५. साधनीय (सिद्ध करने योग्य) अर्थ में साध्य शब्द वाच्यलिंग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है । विधे येऽनुमितेः पक्षे साधनार्हतया मते । सानन्दः स्यात्पुमान् गुच्छ करजे ध्रुवकान्तरे ॥२१७०॥ वायलिंगस्त्वसौ प्रोक्तः सनिरालादसंयुते । सानु: स्त्रीपुंसयोः प्रस्थे वात्यायां पल्लवे वने ॥२१७१।। हिन्दी टीका-साध्य शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं-१. विधेय (विधान करने योग्य) और २. अनुमितेः पक्षे साधनार्हतया मत (अनुमिति अनुमान के पक्ष में साधन करने योग्य) को भी साध्य कहते हैं। सानन्द शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. गुच्छकरज (करज करौने का गुच्छा) और २. ध्रुवकान्तर (ध्र वक विशेष) किन्तु ३. आह्लादसंयुत (आनन्द युक्त) अर्थ में सानन्द शब्द वायलिंग (विशेष्यनिन) माना जाता है । सानु शब्द पुल्लिग तथा स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं१. प्रस्थ (पर्वत का तट या चोटी) २. वात्या (आँधी) और ३ पल्लव और ४. वन । मूल : अर्केऽगे कोविदे मार्गे दर्शितः शब्दवेदिभिः । सान्द्रं वने त्रिलिंगस्तु स्निग्धे रम्ये घने मृदौ ॥२१७२॥ सामग्री कारणवाते द्रव्ये च कथिता स्त्रियाम् । सायो दिनान्ते वाणे ना सायाह्न सायमव्ययम् ॥२१७३।। हिन्दी टोका-सानु शब्द के चार अर्थ बतलाये गये हैं--१. अर्क (सूर्य या ऑक का वृक्ष) २. अग्रे (आगाँ) ३. कोविद (पण्डित) और ४. मार्ग (रास्ता)। नपुंसक सान्द्र शब्द का अर्थ--१. वन होता है किन्तु त्रिलिंग सान्द्र शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१. स्निग्ध (चिक्कण) २. रम्य (रमणीय) ३. घन (सघन-निविड) और ४. मृदु (कोमल)। सामग्री शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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