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________________ मूल : ३४८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-श्रृगालिका शब्द अर्थ में शूली शब्द वाच्यवत् (विशेष्य निघ्न) माना जाता है। श्रृगाल शब्द के चार अर्थ माने गये हैं१. जम्बुक (सियार) २. भीरु (डरपोक) ३. निष्ठुर (निर्दय कठोर) और ४. पिशुन (चुगलखोर, चारिया)। (श्रृगालजम्बू शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१ घोण्टाफल (सुपारी-कसली) और २. तरम्बुज (तरबूज) इस तरह श्रृगालजम्बू शब्द के दो अर्थ जानना । मूल : शृगालिका क्षुद्र फेरौ शृगाल्यां च पलायने । भूकूष्माण्डे शृगाली तु विदारी-कोकिलाक्षयोः ॥२०१२।। त्रासात्पलायने क्रोष्टुस्त्रियामपि प्रकीर्तिता। शृङ्खलस्त्रिषु विज्ञयः पुंस्कटीवस्त्रबन्धने ॥२०१३॥ हिन्दी टोका-स्त्रीलिंग श्रृगालिका शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१. क्षुद्रफेरू (छोटी गीदड़नी) २. श्रृगाली (गीदरनी) ३. पलायन (भाग जाना) और ४. भूकूष्माण्ड (सफेद कोल्हा कुम्हर) । स्त्रीलिंग श्रृगाली शब्द के भी चार अर्थ माने जाते हैं- १. बिदारी (काला भूमि कूष्माण्ड, काला कोल्हा) और २. कोकिलाक्ष (तालमखाना) तथा ३. त्रासात् पलायन (डर के मारे भाग जाना) और .. क्रोष्टुस्त्री (गीदड़नी)। तथा १. पुंस्कटीवस्त्रबन्धन (पुरुष के कमर का वस्त्र बन्धन) अर्थ में शृंखल शब्द त्रिलिंग माना जाता है । इस प्रकार श्रृङ्खल शब्द का एक अर्थ समझना चाहिये। अंदुके लौहरज्जौ च बन्धनेऽपि प्रकीर्तितः । शृगं तु शिखरे सानौ विषाणे चिह्न-तीक्ष्णयोः॥२०१४॥ क्रीडार्थजनीरयन्त्रेऽपि प्रभुत्वे सरसीरुहे। उत्कर्षे वाद्यभेदे च शृङ्गो मुन्यन्तरे द्रुमे ॥२०१५॥ हिन्दी टीका-श्रृङ्खल शब्द के और भी तीन अर्थ माने गये हैं-१. अन्दुक (हाथी की बेड़ी) २. लौहरज्जु (लोह की जंजीर) और ३. बन्धन (बाँधने का साधन) । नपुंसक श्रृंग शब्द के दस अथ माने जाते हैं-१. शिखर (पर्वत की चोटी) २. सानु (पर्वत का तट) ३. विषाण (सिंह) ४. चिह्न, ५. तीक्ष्ण (कठोर) और ६. क्रीडार्थजनीरयन्त्र (क्रीडा करने के लिये बनाया हुआ पानी का यन्त्र विशेष, डेङी नौका विशेष) तथा ७. प्रभुत्व ८. सरसीरुह (कमल) ६. उत्कर्ष (प्रगति) और १०. वाद्यभेद (वाद्य विशेष) । पुल्लिग श्रृङ्ग शब्द के दो अर्थ होते हैं- १. मुन्यन्तर (मुनि विशेष) और २. द्रम (वृक्ष) इस प्रकार कुल मिलाकर श्रृङ्ग शब्द के बारह अर्थ जानना चाहिये । मूल : शैलूषः श्रीफले धूर्ते नटे च तालधारके । शैलेयं सैन्धवे तालपां च गिरि पुष्पके ॥२०१६।। शैलेयो भ्रमरे सिंहे शैलेयी-शंकरस्त्रियाम् । शैवो धुस्तूर आचार विशेष वसुके पुमान् ॥२०१७।। हिन्दी टोका-शैलूष शब्द के चार अर्थ माने गये हैं - १. श्रीफल (नारियल या (बिल्वफल बेल) २. धूर्त (वञ्चक) ३. नट और ४. तालधारक (ताल लय का धारण करने वाला)। नपुंसक शैलेय शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. सैन्धव (सिन्धा नमक) और २. तालपर्णी (ममोरफली-मुरा नाम का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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