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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शारङ्ग शब्द | ३३३ शारदो ना हरिन्मुद्गे कासेऽब्दे बकुलेऽगदे । पीतमुद्गे सप्तपर्णे क्लीवं शस्ये सिताम्बुजे ॥१६२०॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग शारङ्ग शब्द के पांच अर्थ होते हैं-१. मृग (हरिण) २. भृङ्ग (भ्रमर वगैरह) ३. मयूर (मोर) ४. चातक और ५. गज (हाथी)। स्त्रीलिंग शारङ्गी शब्द का अर्थ-वाद्ययन्त्र (बाजा विशेष) और त्रिलिंग शारङ्ग शब्द का अर्थ-चित्रित (चितकाबर-कबूर) होता है । पुल्लिग शारद शब्द के सात अर्थ होते हैं-१. हरिन्मुद्ग (हरा मंग, मूंग) २. कास ३. अब्द (वर्ष) ४. बकुल (मौलशरी) ५. अगद (नीरोग) ६. पीतमुद्ग (पीला मूंग) ७. सप्तपर्ण (सप्तपर्ण नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) किन्तु नपुंसक शारद शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं -१. शस्य (फसल वग रह) और २ सिताम्बुज (सफेद कमल) इस प्रकार शारद शब्द के नौ अर्थ समझना चाहिये। मूल : त्रिष्वसौ नूत्न-शालीनाऽप्रतिभेषु शरद्भवे । शारदा स्यात् सरस्वत्यां दुर्गा-वीणा विशेषयोः ॥१६२१।। सारिवा शाक-वैधात्री शाकयोरपि कीर्तिता। शारदी तोयपिप्पल्यां कौमुदीचार ईरिता ॥१६२२॥ हिन्दी टीका-त्रिलिंग शारद शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. नूत्न (नूतन, नया) २. शालीन (सलज्ज जो ढीठ नहीं हो) और ३. अप्रतिभ (प्रतिभाहीन-निष्प्रभ) तथा ४. शरद्भव (शरद् ऋतु में उत्पन्न होने वाला)। शारदा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सरस्वती २. दुर्गा और ३. वीणा विशेष (सरस्वती की वीणा) । शारदा शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं१. सारिवा शाक (सारिवा नाम का शाक विशेष) और २. वैधात्रीशाक (वैधात्री नाम का शाक विशेष)। शारदी शब्द के भी दो अर्थ होते हैं--१. तोयपिप्पली और २. कौमुदीचार (आश्विन पूर्णिमा को जागरण) । मूल : शारि: स्यात् सारिकायां व्यवहारान्तरे छले । युद्धार्थ गजपर्याणे शारिपट्टे त्वसौ पुमान् ।।१६२३।। हिन्दी टीका-स्त्रीलिंग शारि शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं-१. सारिका (मना) २. व्यवहारान्तर (व्यवहार विशेष) और ३. छल (कपट) तथा ४. युद्धार्थगजपर्याण (युद्ध के लिए हाथी का पर्याण) किन्तु ५. शारिपट्ट (पाशा चौपड़ की पट्टी) अर्थ में शारि शब्द पुल्लिग माना गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर शारि शब्द के पाँच अर्थ समझने चाहिये । मूल : शारिका पीतपादायां तथा वीणादिवादने । शार्ककः शर्करापिण्डे दुग्धफेने त्वसौ पुमान् ॥१६२४॥ शार्करो ना क्षीरफेन-शर्करान्वित - देशयोः । शार्दूलो राक्षसे व्याघ्र सरभे विहगान्तरे ॥१६२५॥ हिन्दी टीका-शारिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने हैं-१. पीतपादा (मदनशारिवा पक्षी) और २. वीणादिवादन (वीणा वगैरह का वादन सामग्री) को भी शारिका कहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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