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________________ मूल : २९४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - विद्ध शब्द माना जाता है । विदारी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. भूमिकुष्माण्ड (भूमि पर होने वाला सफेद कोहला-कुम्हर) २. शालपर्णी (सरिवन) और ३. गलाऽऽमय (गले का रोग)। विदर शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं-१. नागर (नागरिक) २. धीर और कौरवाणांमन्त्री (कौरवों का मन्त्री-अमात्य) । विद्धः क्षिप्ते कृतच्छिद्रे बाधिते ताडिते त्रिषु । विद्या ज्ञया ज्ञान-दुर्गा-शास्त्राष्टादशकेषु च ॥१६८३॥ विद्रवः क्षरणे बुद्धौ निन्दायां च पलायने । रत्नवृक्षे किशलये प्रवाले विद्रुमः पुमान् ॥१६८४॥ हिन्दी टीका-विद्ध शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं- १. क्षिप्त, २. कृतच्छिद्र (छेद किया हुआ) ३. बाधित और ४. ताडित । विद्या शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. ज्ञा, २. दुर्गा और ३. शास्त्राष्टादशक (अठारह शास्त्र)। विद्रव शब्द के चार अर्थ होते हैं—१. क्षरण, २. बुद्धि, ३. निन्दा और ४. पलायन (भाग जाना)। विद्र म शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. रत्नवृक्ष, २. किशलय और ३. प्रवाल (मूंगा चनौठी)। विधः प्रकारे हस्त्यन्ने विमान-वेधद्धिषु । विधा स्त्री गज देयान ऋद्धौ कर्म-प्रकारयोः ॥१६८५।। वेधने वेतने चाथो विधानं करणे विधौ । विधि ब्रह्मणि गोविन्दे विधाने क्रम-भाग्ययोः ॥१६८६॥ गजान्ने विधिवाक्ये च नियोगे काल-कर्मणोः । यागोपदेशकग्रन्थे प्रकारे च चिकित्सके ॥१६८७।। हिन्दी टीका-विध शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं—१. प्रकार (तरीका वगैरह) २. हस्त्यन्न (हाथी के लिये अन्न) ३. विमान, ४ वेधन (बांधना) और ५. ऋद्धि (सम्पत्ति वगैरह।। विधा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. गजदेयान (हाथी के लिये देने योग्य अन्न ज) २. ऋद्धि (समृद्धि) ३. कर्म (क्रिया) ४. प्रकार (तरीका वगैरह) ५. वेधन (वोंधना) तथा ६. वेतन (पगार)। विधान शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. करण (कार्य का साधन या क्रिया वगैरह) और २. विधि (विधान करना) । विधि शब्द पुल्लिग है और उसके दस अर्थ माने जाते हैं-१. ब्रह्म (ब्रह्मा-विधाता) २. गोविन्द (भगवान विष्णु) ३. विधान, ४ क्रम (परिपाटी रीति वगैरह) ५. भाग्य (अदृष्ट) ६. गजान्न (हाथी के लिये अन्न) ७. विधिवाक्य (प्रेरणा सूचक वाक्य विशेष स्वर्गकामो यजेत' इत्यादि) ८. नियोग (आज्ञा वगैरह) ६. काल और १०. कर्म क्रिया करना) । इस प्रकार विधि शब्द के दस अर्थ समझने चाहिए। विधि शब्द के और भी तीन अर्थ माने गये हैं-१. यागोपदेशकग्रन्थ (याग करने का तरीका बतलाने वाला ग्रन्थ विशेष–'विधि विवेक' वगैरह) २. प्रकार (तरीका वगैरह) और ३. चिकित्सक (इलाज करने वाला, वैद्य, डाक्टर)।। विधुर्नारायणे चन्द्रे कर्पू रे वायु-रक्षसोः । विधुरं तु प्रविश्लेषे कैवल्ये विकले त्रिषु ॥१६८८।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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