SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४२ | नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - भावित शब्द मूल : भावितो वासिते प्राप्ते चिन्तिते मिश्रिते त्रिषु । भास दीप्तौ शकुन्ते च कुक्कुटे गृध्र-गोष्ठ्ययोः ॥। १३७३।। भासन्त: चन्दिरे सूर्ये नक्षत्रे भासपक्षिणि । भास्करोऽहस्करे वह्नौ भास्कराचार्य - वीरयोः ।। १३७४॥ हिन्दी टीका - पुल्लिंग भावित शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. वासित ( वासनायुक्त) २. प्राप्त, ३. चिन्तित, किन्तु ४. मिश्रित ( मिला हुआ) अर्थ में भावित शब्द त्रिलिंग माना जाता है । भास शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. दीप्ति ( ज्योति, प्रकाश) २. शकुन्त (पक्षी) ३. कुक्कुट (मुर्गा ) ४. गृध्र ( गीध ) और ५. गोष्ठ (समूह वगैरह ) । भासन्त शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थं माने गये हैं—१. चन्दिर (चन्द्रमा) २. सूर्य, ३. नक्षत्र और ४. भासपक्षी (भास नाम का पक्षी विशेष ) । भास्कर शब्द पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ माने गये हैं - १. अहस्कर (सूर्य) २. वह्नि (अग्नि) ३. भास्कराचार्य और ४. वीर । इस प्रकार भास्कर शब्द के चार अर्थ जानना । मूल : भासुरो दिवसे सूर्ये दीप्तियुक्त त्वसौ त्रिषु । भास्वान् सूर्येऽर्कवृक्षे च वीरे दीप्तियुते त्रिषु ।। १३७५ ।। भित्ति: कुड्ये प्रदेश संविभागा - ऽवकाशयोः । भिदुरं कुलिशे क्लीवं प्लक्षवृक्षे त्वसौ पुमान् ॥ १३७६।। हिन्दी टीका - भासुर शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. दिवस (दिन ) २. सूर्य किन्तु ३. दीप्तियुक्त (प्रकाशवान ) अर्थ में भासुर शब्द त्रिलिंग माना जाता है । भास्वान् शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. सूर्य, २. अर्कवृक्ष (आंक का वृक्ष) और ३. वीर, किन्तु ४. दीप्तियुत (दीप्तियुक्त) अर्थ में भास्वान् शब्द त्रिलिंग माना गया है । भित्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. कुड्य ( दीवाल) २. प्रदेश ( एकदेश) ३. संविभाग (विभाजन) और ४. अवकाश । भिदुर शब्द - १. कुलिश (वज्र ) अर्थ में नपुंसक माना जाता है किन्तु २. प्लक्षवृक्ष ( पाकर का वृक्ष) अर्थ में भिदुर शब्द पुल्लिंग ही माना गया है । मूल : Jain Education International भिन्नो विदारिते फुल्ले संगते - तरयो स्त्रिषु । भिक्षा भृतौ च सेवायां याञ्चा - भिक्षितवस्तुनि ॥१३७७।। भिक्षु जैनमुनौ बुद्धप्रभेद - कोकिलाक्षयोः । भीमो भयानकरसे शिवे मध्यम पाण्डवे ||१३७८ || हिन्दी टीका - पुल्लिंग भिन्न शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं - १. विदारित (विदीर्ण किया गया ) २. फुल्ल ( विकसित ) किन्तु ३. संगत ( मिला हुआ) अर्थ में और ४. इतर ( भिन्न अन्य) अर्थ में भिन्न शब्द त्रिलिंग माना गया | भिक्षा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. भृति (जीविका ) २. सेवा, ३. याञ्चा (याचना ) और ४. भिक्षित वस्तु ( याचित पदार्थ ) । भिक्षु शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. जैन मुनि (जैन साधु) २. बुद्धप्रभेद ( भगवान बुद्ध विशेष) और ३. कोकिलाक्ष ( कोयल की आँख ) । भीम शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. भयानकरस, २. शिव (भगवान शंकर) और ३. माध्यमपाण्डव (भीम नाम का दूसरा पाण्डव ) । इस प्रकार भीम शब्द के तीन अर्थ जानना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy