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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -पात्र शब्द | २२५ सिंहाणे वायसे वह्नौ पिङ्गाशेऽपि प्रकीर्तितः । पाथोऽनले सहस्रांसौ पाथन्तु सलिले मतम् ।।१२७१॥ हिन्दी टीका-पात्र शब्द का एक और भी अर्थ होता है-१. भाजन (बर्तन)। पात्रटीर शब्द के नौ अर्थ माने गये हैं-१. युक्तव्यापारमन्त्री (अत्यन्त बुद्धिमान् मन्त्री, योग्य व्यापारवान् मन्त्री) २. कांस्यपात्र (कांसे का बर्तन) ३. लौहपात्र (लोहे का बर्तन) ४. कङ्क (कङ्कहर नाम का प्रसिद्ध पक्षी विशेष, जिसका पांख बाण में लगाया जाता है।) ५. राजतभाजन (चाँदी का बर्तन) ६. सिंहाण (नकटी–नाक का मल) ७. वायस (काक) ८. वह्नि (आग) और ६. पिङ्गाश (भूरा रंग वाला)। सकारान्त नपुंसक पाथस् शब्द का अर्थ --१. अनल (अग्नि) और २. सहस्रांशु (सूर्य) होता है। किन्तु अदन्त नपुंसक पाथ शब्द का अर्थ ३. सलिल (पानी) हो मूल : पाथेयं शम्बले कन्या राशौ पाथोजमम्बुजे । पादः श्लोकचतुर्थांशे शैलप्रत्यन्तपर्वते ।।१२७२॥ चतुर्थभागे चरणे किरण - द्रुममूलयोः । पारी स्त्रियां पानपात्रे परागे जलसंचये ॥१२७३॥ हिन्दी टोका-पाथेय शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. शम्बल (पाथेय रास्ते की भोजन सामग्री) और २. कन्या राशि । पाथोज शब्द का अर्थ–१. अम्बुज (कमल) होता है। पाद शब्द के छह अर्थ माने जाते हैं--१. श्लोकचतुर्थांश (श्लोक का चतुर्थाश-चौथा भाग, चौथाई) २. शैलप्रत्यन्तपर्वत (पहाड़ के इर्दगिर्द निकटवर्ती पर्वत) ३. चतुर्थ भाग (चौथाई) ४. चरण (पांव, पद, पैर) ५. किरण और ६. द्र ममूल (वृक्ष का मूल जड़ भाग) । पारी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पानपात्र (ताम्बूल का बर्तन अथवा पीने का बर्तन) २. पराग (पुष्परेणु) तथा ३. जलसंचय (पानी का समुदाय)। मूल : दोहपात्रे प्रवाहे च कर्कर्यां करिशृखले। पावो जिनविशेषे त्रिष्वन्तिकेऽथा स्त्रियामसौ ॥१२७४॥ पार्वास्थि संघे कक्षाऽधोभागे पशुगणे तथा । पाणिः स्त्रियामुन्मदस्त्री कुन्ती स्त्रीपुंसयोस्त्वसौ ॥१२७५॥ हिन्दी टीका-पारी शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं- १. दोहपात्र (दूध दुहने का बर्तन विशेष) २. प्रवाह (धारा) ३. कर्करी (गड़आ-हथहर या झंझरा, करवती शब्द प्रसिद्ध बर्तन विशेष) और ४. करिशृंखल (हाथी की जजीर)। पुल्लिग पार्श्व शब्द का अर्थ-१. जिनविशेष (पार्श्वनाथ भगवान) किन्तु २. अन्तिक (निकट) अर्थ में पार्श्व शब्द त्रिलिंग माना गया है परन्तु पुल्लिग तथा नपुंसक पार्श्व शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पार्वास्थिसंघ (दोनों बगल की हड्डी समुदाय) २. कक्षाऽधोभाग (कक्षा- कांख या कक्ष का नीचा भाग) तथा ३. पशुगण (हाड़ पञ्जर)। पाणि शब्द स्त्रीलिंग है और उसका एक अर्थ होता है-१. उन्मद स्त्री (पागल स्त्री) किन्तु २. कुन्ती अर्थ में पाणि शब्द पुल्लिग तथा स्त्रीलिंग माना गया है। मूल : पादग्रन्थ्यधरः पृष्ठे सैन्यपृष्ठे जयस्पृहा । पाशीना वरुणे व्याधे यमे पाशधरे त्रिषु ॥१२७६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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