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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - निर्मोक शब्द | १९३ निर्यातने वैरशुद्धौ दाने न्यासार्पणे वध्धे । ऋणादिशुद्धौ निर्यासो वृक्षक्षीर- कषाययोः ॥ १०७६ ॥ हिन्दी टीका --निर्मोक शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. व्योम (आकाश) २. सन्नाह (कवच ) ३. मोचन ( छोड़ाना) और ४. सर्पकञ्चुक (सांप का केञ्चल - केचुआ ) । निर्याण शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. कुञ्जराऽपाङ्गभाग ( हाथी का अपांगभाग - नेत्रकोण) २. मोक्ष तथा ३. अध्वनिर्गम (मार्ग) | निर्यातन शब्द के पाँच अर्थ होते हैं - १. वैरशुद्धि ( शत्रुता का बदला लेना) २. दान, अर्पण करना वापस करना ) ४. वध तथा ५ ऋणादि शुद्धि (ऋण वगैरह दो अर्थ होते हैं - १. वृक्षक्षीर ( वृक्ष का लस्सा) और २. कषाय रस । निर्यूहः शेखरे द्वारे निर्यासे नागदंतके । आपीड़-क्वाथरसयो निर्लेपः ३. न्यासार्पण ( थाती को चुकाना ) । निर्यास शब्द के मूल : पापवर्जिते ॥ १०७७॥ Jain Education International आसङ्गरहिते लेपशून्ये चासौ त्रिलिंगकः । निर्वाणं निर्वृतौ मोक्षे निश्चले गजमज्जने ॥ १०७८ || हिन्दी टीका - निर्यूह शब्द के छह अर्थ होते हैं- १ शेखर (शिरोभूषण) २. द्वार, ३. निर्यास (लस्सा ) ४. नागदन्तक ( खूंटी) ५. आपीड़ ( मस्तकमाला) और ६. क्वाथरस - ( उकाला ) । निर्लेप शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. पापवर्जित (पापरहित) २. आसंगरहित ( अनासक्ति) ३. लेपशून्य ( लेप - घमण्डरहित ) । निर्वाण शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. निर्वृति ( आनन्द विशेष) २. मोक्ष, ३. निश्चल (स्थिर) और ४. गजमज्जन (हाथी का स्नान - डूबना ) | मूल : विद्योपदेशने शून्ये विश्रान्तौ संगमेऽपि च । अस्तंगतौ नाभि जप्यमूलमंत्र नपुंसकम् ॥१०७६॥ त्रिष्वसौ वाणरहिते निमग्ने नष्ट मुक्तयोः । निर्वादो निश्चिते वादे ऽवज्ञा लोकापवादयोः ॥१०८० ।। हिन्दी टीका - नपुंसक निर्वाण शब्द के और भी छह अर्थ माने जाते हैं - १. विद्योपदेशन (विद्यो - पदेश ) २. शून्य (खाली) ३. विश्रान्ति ( विश्राम, शान्ति) ४. संगम ( मिलाप ) ५. अस्तं गति (अस्त हो जाना) और ६. नाभिजप्यमूलमन्त्र (नाभि में जप करने योग्य इष्ट मन्त्र ) किन्तु १. वाणरहित, २. निमग्न, ३. नष्ट और ४. मुक्त इन चारों अर्थों में निर्वाण शब्द त्रिलिंग माना जाता है। निर्वाद शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं- १. निश्चित (निर्णीत) २. वाद ( विवाद ) ३. अवज्ञा ( निन्दा अपमान) और ४. लोकापवाद (कलङ्क) इस प्रकार निर्वाद शब्द के चार अर्थ जानना । मूल : वादाभावे परीवादे दाने निर्वापणं वधे । नगरादेर्बहिष्कारे वधे निर्वासनं मतम् ।। १०८१ ॥ कृताग्निहोत्रे निर्विष्टः स्थिते प्राप्ते विवाहिते । निर्वृत्तिः सुस्थितौ मृत्यौ मोक्षेऽस्तंगमने सुखे ॥१०८२ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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