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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-निघृष्व शब्द | १८७ हिन्दी टीका-निघृष्व शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. मारुत (पवन) २. मार्ग (रास्ता) ३. खरखुर (गदहा का खुर-खरी) और ४. शूकरखुर (शूगर का खुर-खरी)। निचुल शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. कविभेद (कवि विशेष, निचुल नाम का प्रसिद्ध कवि) २. निचोल (प्रच्छद पट चादर-खोल वगैरह) ३. स्थलबेतस (स्थल बेत) ४. व.नीर (बेंत) एवं ५. हिज्जल (जलबेंत)। निज शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं -१ नित्य और २. स्वकीय (अपना)। नितम्ब शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. स्त्री कटो पश्चाद् भाग (चूतड़, पोन) और २. कटक (सेना) तथा ३. रोधस् (तट किनारा) इस प्रकार नितम्ब शब्द के तीन अर्थ जानना । मूल : स्कन्धो च कटिमात्रेऽथ स्त्रीमात्रेऽपि नितम्बिनी। नित्यः सदातने सिन्धौ नित्यन्त्वविरते मतम् ॥१०४२॥ नित्या तु मनसादेव्या दुर्गा शक्ति विशेषयोः । निदर्शनन्तु दृष्टान्ते काव्यालंकरणे स्त्रियाम् ॥१०४३॥ हिन्दी टीका-नितम्ब शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं-१. स्कन्ध (कन्धा मध्य भाग) और २. कटिमात्र (कमर-डार)। नितम्बिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. स्त्री मात्र (सभी स्त्री) होता है, अपि शब्द से सुन्दरी स्त्री समझी जाती है। पुल्लिग नित्य शब्द के दो अर्थ होते हैं१. सदातन (हमेशा रहने वाला सतत विद्यमान) और २. सिन्धु (समुद्र-नदी) किन्तु नपुंसक नित्य शब्द का अर्थ-१. अविरत (लगातार-निरन्तर) होता है । स्त्रीलिंग नित्या के तीन अर्थ होते हैं-१. मनसादेवी (देवी विशेष) २. दुर्गा और ३. शक्ति विशेष । निदर्शन शब्द का अर्थ-१. दृष्टान्त (उदाहरण) होता है किन्तु २. काव्यालंकरण (काव्य का अलंकार विशेष) अर्थ स्त्रीलिंग माना जाता है। इस प्रकार नपंसक निदर्शन शब्द का अर्थ-दृष्टान्त और स्त्रीलिंग निदर्शना शब्द का अर्थ काव्य का अलंकार विशेष समझना चाहिए। मूल : निदानमवसाने स्याद् वत्स दाम्न्याऽऽदिकारणे। तपःफलार्थने शुद्धौ कारणे कारणक्षये ॥१०४४॥ रोगहेतावथैलायां कण्टकार्यां निदिग्धिका । निदेशः कथनोपान्त भाजनाऽऽज्ञासु कीर्तितः ॥१०४५॥ हिन्दी टीका-निदान शब्द नपुंसक है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं --१. अवसान (अन्त) २. वत्सदाम्नी (बछड़े की डोरी रस्सी) ३. आदिकारण (मूलकारण) ४. तपःफलार्थन (तपस्या के फल की इच्छा करना) और ५. शुद्धि (पवित्रता) ६. कारण (हेतु) ७ कारणक्षय (कारण का नाश-ध्वंस) और ८. रोगहेतु (रोग का मूल कारण) को भी निदान कहते हैं। निदिग्धिका शब्द के दो अर्थ होते हैं१. एला (इलाइची) और २. कण्टकारी (रेंगणी कटैया)। निदेश शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं- १. कथन, २. उपान्त (निकट-नजदीक) ३. भाजन (पात्र बर्तन) और ४. आज्ञा । मूल : निधनो वधतारायां निधनं कुल-नाशयोः । निधानं निधि कार्यान्त प्रवेशस्थानयोरपि ।।१०४६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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