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________________ नार्मोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित निःशेष शब्द | १८५ निःसंग: संगरहिते फलाऽनभिनिवेशिनि । अथ निःसरणं मृत्यौ निर्वाणोपाययोरपि ॥१०३०॥ हिन्दो टोका-निःशेष शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं—१. शेष रहित (अशेष कुछ भी परिशेष नहीं) और २. समग्र (सारा)। निःश्रेयस शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. शुभ (मंगल कल्याण) २. भक्ति ३. मुक्ति ४. विद्या (तत्वज्ञान) और ५. अनुभाव (विशेष श्रद्धा वगैरह) को भी निःश्रेयस कहते हैं। निःसंग शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. संगरहित (आसक्ति रहित) और २ फलानभिनिवेशो (कर्मफल को चाह नहीं करने वाला)। निःसरण शब्द नपुंसक माना जाता है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. मृत्यु (मरण) २. निर्वाण (मोक्ष) और ३. उपाय (साधन)। इस प्रकार निःशेष शब्द के दो और निःश्रेयस शब्द के पाँच तथा निःसंग शब्द के दो एवं निःसरण शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिये। मूल : निर्गमे भवनादीनां प्रवेशादि पथेऽपि च । नि:स्रावः स्याद् भक्तरसे मण्डे भक्त समुद्भवे ॥१०३१।। निकरः शेवधौ सारे न्यायदेयधने चये । निकायो भवने लक्ष्ये संहतौ परमात्मनि ॥१०३२॥ हिन्दो टीका-निःसरण शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं --१. निर्गम (प्रस्थान निकलना) और २. भवनादीनां प्रवेशादि पथ (मकान गृह वगैरह में प्रवेश करने का मार्ग)। निःस्राव शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. भक्तरस (भात का रस-तत्व भाग) और समुद्भवमण्ड (भात का मण्ड-मांड़)। निकर शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं १. शेवधि (खजाना) २. सार (तत्व) ३ न्यायदेय धन (न्याय पूर्वक देने योग्य धन वित) और ४. चय (समुदाय) भी निकर शब्द का अर्थ समझना चाहिये । निकाय शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ माने गये हैं - १. भवन (गृह मकान, महल) २. लक्ष्य (ध्येय उद्देश्य) ३. संहति (समुदाय) और ४. परमात्मा (परमेश्वर) इस तरह निकाय शब्द के चार अर्थ जानना । मूल : निकारः स्यात् खलीकारे धान्योर्ध्वक्षेपणेऽपि सः । धिक्कारे विप्रकारेऽथ मारणेऽपि निकारणम् ॥१०३३॥ निकुञ्चकस्तु वानीरे तुर्यांशे कुडवस्य च । निकृतो वञ्चिते नीचे प्रत्याख्याते शठे त्रिषु ॥१०३४॥ हिन्दी टोका-निकार शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. खलीकार (दुष्टता करना) २. धान्योर्ध्वक्षेपण (धान्य को ऊपर ओसाकर साफ करना) को भी निकार कहते हैं और ३. धिक्कार (भर्त्सना) तथा ४ विप्रकार (अपमान) को भी निकार कहा जाता है। निकारण शब्द का अर्थ ---१. मारण (मारना) होता है । निकुञ्चक शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. वानीर (बेंत) २. कुडवस्य तुर्याश (पाव का चौथा भाग एक छटाँक) को भी निकुञ्चक कहते हैं। निकृत शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं -१ वञ्चित (ठगा गया) २. नीच (अधम) ३. प्रत्याख्यात (बहिष्कृत) और ४. शठ (दुर्जन) । इस प्रकार निकृत शब्द के तीन अर्थ जानना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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