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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-धारिणी शब्द | १७३ हिन्दी टीका–धारिणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. धरणि (पृथिवी) २. देवस्त्रीगण (गन्धर्वाङ्गना विशेष) और ३. शाल्मलीतरु (शेमर का वृक्ष)। धार्तराष्ट्र शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. हंस, २. सर्पभेद (सर्पविशेष) और ३. दुर्योधनादिक (दुर्योधन वगैरह) । धावन शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं—१. गमन, २. शुद्धि और ३. पृश्निपर्णी (पिठिवन-पिठवनी, लता विशेष)। धावनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं१. धातकी (धव नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) और २. कण्टकारी (रेंगणी कटैया)। धावित शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. माजित (शुद्ध किया हुआ) और २. गत (गया हुआ) । मूल: धिषणो विबुधाचार्ये धिषणा तु मतो मता। धिष्ण्यं शक्तौ गृहे स्थाने नक्षत्रे जातवेदसि ॥ ६५६ ॥ धीमान् बृहस्पतौ प्राज्ञ बुद्धिमत्यां तु धीमती। धीरस्त्रिषु बुधे मन्दे विनीते बलशालिनी ।। ६६० ॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग धिषण शब्द का अर्थ-१. विबुधाचार्य (बृहस्पति) होता है । और स्त्रीलिंग धिषणा शब्द का अर्थ-१. मति (बुद्धि) होता है । धिष्ण्य शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. शक्ति (सामर्थ्य) २. गृह (घर-मकान) ३. स्थान (जगह) ४. नक्षत्र (अश्विनी भरणी वगैरह) और ५ जातवेदस् (अग्नि-आग) । धीमान् शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. बहस्पति, २. प्राज्ञ (पण्डित-बुद्धिमान) किन्तु स्त्रीलिंग धीमती शब्द का अर्थ - १. बुद्धिमती (ज्ञानवती स्त्री) होता है। धीर शब्द विलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं --१. बुध (पण्डित) २. मन्द, ३. विनीत और ४. बलशाली (बलवान) । इस तरह धीर शब्द के चार अर्थ जानना। स्वैरे धैर्यान्विते पुंसि बलौ क्लीवन्तु कुकुमे। धीरा स्त्रीभेद-काकोली-महाज्योतिष्मतीषु च ॥ ६६१ ॥ धीवरी मत्स्यवेधिन्यां कैवल् धीवर स्त्रियाम् । धीवरः पुंसि कैवर्ते धुतस्त्यक्त - विधूतयोः ॥ ६६२ ॥ हिन्दी टोका-धीर शब्द-१. स्वैर (इच्छानुसार मनमानी विचरने वाला) २. धैर्यान्वित (धैर्यशाली) और ३. बलि इन तीनों अर्थों में पुल्लिग माना जाता है। किन्तु ४. कुकुम (सिन्दूर) अर्थ में धीर शब्द नपंसक माना गया है। धीरा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. स्त्रीभेद (स्त्री विशेष,--धीरा, अधीरा, धीराऽधीरा इन तीन प्रकार की स्त्रियों में प्रथम स्त्रीभेद को धीरा कहते हैं) और २. काकोली (डौम कौवी या विष का स्थावर वृक्ष विशेष) और ३. महाज्योतिष्मती (मालकागनी नाम की प्रसिद्ध लता विशेष) । धीवरी शब्द स्त्रोलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. मत्स्यवेधिनी (मछली को वींधने मारने वाली स्त्री) और २. कैवर्ती (केवट स्त्री जाति) तथा ३. धीवर स्त्री (मलाहिन । धीवर शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. कंवर्त (केवट) होता है। धुत शब्द के दो अर्थ माने गये हैं१. त्यक्त (परित्याग किया गया) और २. विधूत (अपमानित या कम्पित)। धुन्धुमारः शक्रगोपे बृहदश्वनृपात्मजे । पदालिके गेहधूमे धुरीणे तु धुरन्धरः ॥ ६६३ ॥ मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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