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________________ १६४ | नानार्थोदयमागर कोष : हिन्दी टीका सहित-देवी शब्द दैत्या चण्डौषधौ मद्ये मुरायां दैत्ययोषिति । दोलो हिन्दोलके प्रेङ्खा-नीलिन्योरपि कीर्तिता ॥ ६०७ ॥ हिन्दी टोका-देवी शब्द के और भी आठ अर्थ होते हैं-१. शालपर्णी (वृक्ष विशेष गम्भार) २. हरीतकी, ३. लिङ्गिनी (योगिनी) ४. पाठ, ५. महाद्रोणी (नील, गरी) ६. मृगेरु (मृगनाभि, कस्तूरी) ७. शारिवा (ग्वार फली) और ८. पक्षिजाति (पक्षी जाति विशेष) । इन आठों को देवी कहते हैं। दैत्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. चण्डौषधि (चोरा नाम का गन्ध द्रव्य विशेष) २. मद्य (शराब) ३. मुरा (ममोरफली मुरा नाम का सुगन्ध द्रव्य विशेष) और ४. दैत्ययोषित (दैत्य की स्त्री) । दोला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. हिन्दोलक (झूला) २. प्रेङ्खा (हिन्दोला, डोली) और ३. नीलिनी (नील, गरी)। मूल: दोषो दूषण-गोवत्स-कल्मलेषु कफादिके । दोषज्ञ: पण्डिते दोषज्ञानयुक्त चिकित्सके ।। ६०८ ।। दोषा स्त्रियां भुजे रात्रौ रात्रौ रात्रिमुखेऽव्ययम् । दोषांकरश्चन्द्रमसि दोषाणामाकरेऽप्यसौ ॥ ६०६ ॥ हिन्दी टीका-दोष शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं- १. दूषण, २. गोवत्स (बछड़ा) ३. कल्मल (पाप) और ४. कफादिक (कफ पित्त वात)। दोषज्ञ शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. पण्डित (विद्वान्) २. दोषज्ञानयुक्त (दोष को जानने वाला) और ३. चिकित्सक (वैद्य, डाक्टर) । दोषा स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं-१. भुज (बाहु) २. रात्रि (रात) ३. राधि री रात) किन्तु ४. रात्रिमुख (सायंकाल) अर्थ में दोषा शब्द अव्यय माना जाता हैं। दोषाकर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. चन्द्रमस् (चन्द्रमा) और २. दोषाणाम् आकर (दोषों का भण्डार खजाना)। दोस्थः स्यात् सेवके सेवा क्रीड़यो: क्रीड़के पुमान् । दो:स्थिते तु त्रिलिंगोऽसौ दोहदो गर्भलक्षणे ॥ १० ॥ हिन्दी टीका - दोस्थ शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. सेवक, २. सेवा, ३. क्रोड़ा, ४. क्रीड़क (खेलने वाला) किन्तु ५. दोःस्थित (बाहुस्थित) अर्थ में दोस्थ शब्द त्रिलिंग माना जाता है। दोहद शब्द का अर्थ–१. गर्भ लक्षण (गर्भ का चिन्ह) होता है। वाञ्छायां गर्भिणीच्छायां धुस्वर्गे गगने दिने । द्युतिः प्रभायां शोभायां रश्मौ द्यौ फ्रेमनाकयोः । द्रविणं काञ्चने वित्त बले द्युम्नं धने बले ॥ ६११ ॥ हिन्दी टीका-दोहद शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं-१. वाञ्छा (इच्छा) और २. गर्भिणीच्छा (गर्भिणी-गर्भवती स्त्री की इच्छा)। द्यु शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. स्वर्ग, २. गगन (आकाश) और ३. दिन । द्युति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. प्रभा, २. शोभा, और ३. रश्मि (किरण) । द्यौ शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. व्योम (आकाश) और २. नाक मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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