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________________ १६० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित–दुन्दुभि शब्द दूरोदरः पणे द्यूतकृति, छूते नपुंसकम् । दुर्ग कोट्ट पुमान् दैत्ये गुग्गुलौ त्रिषु दुर्गमे ॥ ८८२ ॥ हिन्दी टोका-दुन्दुभि शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. वरुण, २. रक्षो भेद (राक्षस विशेष) ३. दंत्यविशेष और ४. अक्ष (पासा चौपड़) तथा ५. भेरी (वाद्य विशेप धू-धू) ६. गरल (जहर विष) तथा ७. अक्ष बिन्दुत्रिकद्वय (अक्ष पाशा का दो बिन्दुत्रिक)। दुरोदर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. पण (जुआ खेलने की बाजी लगाना) २. द्यूतकृत् (जुआ खेलने वाला) किन्तु ३. द्यूत (जुआ) अर्थ में दुरोदर शब्द नपुंसक है। १. कोट्ट (परकोटा, किला) अर्थ में दुर्ग शब्द नपुंसक माना जाता है किन्तु २. दैत्य (दानव) और ३. गुग्गुलु (गूगल) इन दोनों अर्थों में दुर्ग शब्द पुल्लिग कहा गया है परन्तु ४. दुर्गम अर्थ में दुर्ग शब्द त्रिलिंग है। दुर्गाऽपराजिता-नीली - पार्वती-शारिवासु च। दुर्जातं व्यसनेऽसम्यग्जाते त्रिष्वसमञ्जसे ॥ ८८३ ॥ दुर्दान्त: कलहे वत्सतरेऽशान्ते त्वसौ त्रिषु । मेघाच्छन्न दिने वृष्टौ दुदिनंकवयो विदुः ॥ ८८४ ।। हिन्दी टोका-दुर्गा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. अपराजिता (औषधि विशेष) २. नीली (गड़ी) ३. पार्वती (काली-अम्बा) ४. शारिवा (ग्वार, गुलीसर) । दुर्जात शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. व्यसन (विपत्ति) और २. असम्यग्जात (बुरी तरह उत्पन्न होना) किन्तु ३. असमञ्जस (अनुचित, अयोग्य) अर्थ में दुर्जात शब्द त्रिलिंग ही माना जाता है। दुर्दान्त शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. कलह (झगड़ा)२. वत्सतर (बछड़ा) किन्तु ३. अशान्त अर्थ में दुर्दान्त शब्द त्रिलिंग है। दुर्दिन शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. मेघाच्छन्न दिन (बादल को घटा से व्याप्त विकराल दिन) और २. वृष्टि (वर्षा) इस प्रकार दुर्दिन शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं। मूल : दुर्द्धरः पुंसि नरकप्रभेद ऋषभौषधौ । महिषासुर सेनानी - सूत - भल्लातकेषु च ॥ ८८५ ॥ त्रिषु स्याद् दुःखसन्धार्ये दुर्मुखोऽप्रियवादिनि । दुर्लभोऽतिप्रशस्ते स्यात् प्रिय दुष्प्रापयोस्त्रिषु ॥ ८८६ ।। __ हिन्दी टोका-दुर्द्ध र शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. नरक प्रभेद (नरक विशेष) २. ऋषभौषधि (ऋषभ नाम का औषध विशेष, काकरासिंगी) ३ महिषासुर सेनानी (महिषासुर का मुख्य सैनिक) ४. सूत (पारद, पाड़ा) और ५. भल्लातक (भाला) किन्तु ६. दुःखसन्धार्य (कष्ट से धारण करने योग्य) अर्थ में दुर्द्धर शब्द त्रिलिंग माना जाता है। दुमुख शब्द का अर्थ१. अप्रियवादी (कटु भाषी) है । दुर्लभ शब्द का अर्थ-१. अतिप्रशस्त (अत्यन्त प्रशंसनीय) है किन्तु २. प्रिय और ३. दुष्प्राप्य इन दोनों अर्थों में दुर्लभ शब्द त्रिलिंग हैं। मूल : दुर्विधो निर्द्धने मूर्खे दुर्जनेऽपि त्रिलिंगकः । दूतो वार्ताहरे, दूती सारिकायां मता स्त्रियोः ॥ ८८७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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