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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-तारा शब्द | १४१ ताय॑स्तुरङ्गमे सर्प गरुडे गरुडाग्रजे । अश्वकर्णतरौ शालवृक्षे रथ सुवर्णयोः ॥ ७७१ ॥ हिन्दी टीका-तारा का और भी एक अर्थ माना जाता है-१. उग्रताराभिधान शक्ति (उग्रतारा नाम की शक्ति विशेष) । तारापति शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं- १. शिव (शंकर भगवान) २. चन्दिर (चन्द्रमा) ३. बालि, ४. सुग्रीव और ५. बृहस्पति । तार्क्ष्य शब्द पुल्लिग है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं-१ तुरङ्गम (घोडा) २. सर्प, ३. गरुड़, ४. गरुडाग्रज (गरुड़ का बड़ा भाई) एवं ५. अश्वकर्णतरु (सखुआ वृक्ष) और ६. शाल वृक्ष एवं ७. रथ और 5. सुवर्ण (सोना) इस प्रकार तार्क्ष्य शब्द के आठ अर्थ जानना। मूल : तालं तालफले तालीशपत्र हरितालयोः । दुर्गा सिंहासने क्लीवं पुमांस्तु तालपादपे ॥ ७७२ ॥ गीतकाल क्रिया मानेऽङ्गष्ठ मध्यम संमिते । करास्फाले कांस्यवाद्य भाण्डे करतलेत्सरौ ॥ ७७३ ॥ हिन्दी टोका-ताल शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. तालफल, २. तालीश पत्र (आमलकी, आँवला) और ३. हरिताल (हरिताल नाम का औषध विशेष) और ४. दुर्गा सिंहासन (दुर्गा का सिंहासन) किन्तु पुल्लिग ताल शब्द का अर्थ ५. ताल पादप (ताल का वृक्ष) होता है। पुल्लिग ताल शब्द के और भी पाँच अर्थ माने जाते हैं- १. गीतकाल क्रिया मान (गान गोष्ठी काल के व्यापार विशेष) और २. अंगुष्ठ मध्यम संमित करास्फाल (अंगूठा और मध्यम अंगुलि परिमित करास्फाल-हाथ का फैलाव) एवं ३. कांस्यवाद्य भाण्ड (झाल मृदंग) और ४. करतल तथा ५. त्सरु (खड्ग की मुष्टि)। मूल : तालकं द्वारयन्त्रे स्यात् तुवरी हरितालयोः । तालाङ्क शंकरे शाकविशेष करपत्रयोः ॥ ७७४ ॥ हिन्दी टीका-तालक शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. द्वार यन्त्र (ताला) २. तुवरी (अरहर, राहरि, तुअर) और ३. हरिताला । तालाङ्क शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं -१. शङ्कर, १. शाक विशेष, और ३. करपत्र (आरा) । इस प्रकार तालक शब्द के तीन और तालाङ्क शब्द के भी तीन अर्थ जानना चाहिए। महालक्षणसम्पूर्ण पुरुषे पुस्तके बले। तालिका ताम्रवल्ल्यां स्यात् तालमूली चपेटयोः ॥ ७७५ ॥ प्रसारितांगुलिकर-काचन क्योस्त्वसौ पुमान् । ताली तुवरिका तालमूली पत्रद्रुमेषु च ॥ ७७६ ॥ हिन्दी टीका-तालाङ्क शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं-१. महालक्षण सम्पूर्ण पुरुष (विशिष्ट गुणसूचक चिह्न विशेष से परिपूर्ण पुरुष विशेष जैसे महावीर स्वामी) और २. पुस्तक एवं ३. बल, इन तीन अर्थों में भी तालाङ्क शब्द का प्रयोग होता है। तालिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. ताम्रवल्ली (लता विशेष) २. तालमूली (मूसलीकन्द) और ३. चपेटा (थप्पड़) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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