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________________ सूल : नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-टुण्टुक शब्द | १३१ हिन्दी टीका-टुण्टुक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं- १. कृष्ण खदिर (काला कत्था) २. श्योणाक और ३. पक्षी (पक्षी विशेष, टिटही) किन्तु क्रूर अर्थ और नीच (अधम) अर्थ में टुण्टुक शब्द त्रिलिंग माना जाता है और टङ्गिणी पादप (टङ्गिणी नाम का वृक्ष विशेष) अर्थ में टुण्टक शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है। ठक्कुर शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ देवता होता है। ठेर शब्द पलिग स्त्रीलिंग और नपंसक माना जाता है एवं उसका अर्थ वृद्ध बडदा) होता । इसका पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. चमत्कार (आश्चर्यजनक कला विशेष) और २. कपालियोगि वाद्य (भगवान् शङ्कर का डमरू) । डल्लक शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ-१. वंशरचित पात्रादि (बांस का बनाया हुआ पात्र विशेष, डाला वगैरह) है । डहु शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. लकुच (लीची) होता है । डिंगर शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. सेवक (दास) २. धूर्त (वञ्चक) ३. क्षेप (दूर फेंकना) ४. डंगर (डाँगर) और ५. खल (दुष्ट)। डिण्डिमो वाद्यभेदे स्यात् कृष्णपाकफलेऽपि च । डित्थो गजे काष्ठमये सुलक्षणयुते नरि ।। ७१३ ॥ डिम्बो भयध्वनौ डिम्भे प्लीहायां विप्लवाण्डयोः। नपुंसकं तु कलले डमरे फुस्फुसे भये ।। ७१४ ।। हिन्दी टीका-डिण्डिम शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. वाद्यभेद (विशेष वाद्य डिडिम नाम का बाजा) और २. कृष्णपाकफल, इस प्रकार डिण्डिम शब्द के दो अर्थ जानने चाहिये । डित्थ शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. काष्ठमय गज (लकड़ी का बनाया हुआ हाथी) और २. सुलक्षणयुत नर (उत्तम लक्षणों से युक्त पण्डित विद्वान पुरुष) है। कहा भी है-"श्याम रूपो युवा विद्वान् सुन्दरः प्रियदर्शनः। सर्वशास्त्रार्थवेत्ता च डित्थ इत्यभिधीयते ॥ इत्यादि । डिम्ब शब्द पूल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. भय ध्वनि (भयजनक शब्द) २. डिम्भ (बच्चा शिशु) ३. प्लीहा पिल्हीजकृत) ४. विप्लव (विशेष उपद्रव) और ५. अण्ड (अण्डा) किन्तु नपुंसक डिम्ब शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. कलल (गर्भाशय में शुक्र शोणित के जमावट से उत्पन्न गर्भस्थ बच्चे का प्राग रूप) २. डमर (डमरू) ३. फुस्फुस (छाती का माँस विशेष या अन्दर का रचना विशेष को) फुस्फुस कहा जाता है और उस फुस्फुस को भी डिम्ब कहते हैं । और ४. भय भी नपुंसक डिम्ब शब्द का अर्थ होता है। इस तरह डिम्ब शब्द के कुल मिलाकर नौ अर्थ जानने चाहिये। मूल : डिम्बिका जलबिम्बे स्यात् कामुक्यां शोणकद्रुमे । डिम्भो मूर्खे शिशौ डीनं विहङ्गमगतौ मतम् ॥ ७१५ ॥ ड्रण्डुभो राजिले सर्प क्षुद्रोलूके तु डुण्डुलः । डोमः स्वनामप्रथिताऽस्पृश्यजातौ प्रकीर्तितम् ।। ७१६ ॥ हिन्दी टीका-डिम्बिका शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. जलबिम्ब, २, कामुकी और ३. शोणकद्र म (शोणक वृक्ष-सन)। डिम्भ शब्द के दो अर्थ होते हैं -१. मूर्ख और २. शिशु (बच्चा)। डीन शब्द का-१. विहंगमगति (पक्षी का उड़ना)। डुण्डुभ शब्द का अर्थ -१. राजिल सर्प (ढोर साँप) होता है। डुण्डुल शब्द का अर्थ-१. क्षुद्रोलूक होता है। डोम शब्द का अर्थ-१. स्वनामप्रथिताऽस्पृश्यजाति (डोम भंगी) होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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