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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-जननी शब्द | ११६ मूल: जननी मातृ मञ्जिष्ठा-जटामांसी दयास्वपि । कटुका - यूथिका - चर्म चटिकाऽलक्तकेषु च ॥ ६४४ ॥ देशे जने जनपद: किंवदन्त्यां जनश्रुतिः । जनिर्यािं जनीनाम गन्ध द्रव्ये च मातरि ॥ ६४५ ॥ हिन्दी टीका--जननी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ होते हैं- १. माता, २. मजिष्ठा (मजीठा रंग) ३. जटामांसी (जटामांसी नाम का लता औषध विशेष) ४. दया (कृपा अनुकम्पा) ५. कटुका (कटुकी) ६. यूथिका (जूहो) ७. चर्मचटिका (चमड़े की चट्टी) और ८. अलक्तक (अलता-मेंहदी)। जनपद शब्द पल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं --१. देश और २. जन (लोक)। जनश्रुति शब्द है और उसका अर्थ किंवदन्ती होता है। जनि शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. नारी (स्त्री) २. जनीनाम गन्ध द्रव्य (जनी नाम का गन्ध द्रव्य विशेष) और ३. माता। इस तरह जनि शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए। मूल : जनी पुत्रवधू नारी जननेष्वौषधान्तरे । जन्यं क्लीबं परीवादे हट्ट संग्रामयोरपि ॥ ६४६ ॥ हिन्दी टीका - जनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. पुत्रवधू, २. नारी, ३. जनन (जन्म लेना) और ४. औषधान्तर (औषध विशेष)। जन्य शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. परीवाद (निन्दा) २. हट्ट (हाट दुकान) और ३. संग्राम (युद्ध) इस प्रकार जन्य शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए। मूल : जन्यो जनहिते ताते नवोढा ज्ञाति भृत्ययोः । जामातृस्निग्ध मित्रादातुणोऽपि त्रिलिंगकं ॥ ६४७ ॥ हिन्दी टीका-जन्य शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१ . जनहित (जन कल्याण) २. तात (पिता, मित्र) ३. नवोढा ज्ञाति (नूतन विवाहिता नवयुवति का ज्ञाति) और ४. नवोढ़ा भृत्य (नवीन विवाहित युवति का नौकर-चाकर-परिचारक-वाहक-कहार) एवं ५. जामाता स्निग्ध मित्रादि (जामाता का स्नेही-मित्र-दोस्त-फण्ड) और ६. उत्पाद्य (उत्पन्न किया जाने वाला) इस प्रकार जन्य शब्द के छह अर्थ हुए। जन्या मातृवयस्यायां प्रीतावपि निगद्यते । जन्युर्वैश्वानरे धातृ-प्राणिनोः पुंस्यथो जपा ॥ ६४८ ॥ ओड्रपुष्पेऽथ जम्बाल: शैवाले पङ्क मेध्ययोः । जम्बीरः स्यान्मरुबकेऽर्जके जम्भे सितार्जके ।। ६४६ ।। हिन्दी टीका-जन्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं- १. मातृवयस्या (माता की वयस्या-सखी सहेली) और २. प्रीति (स्नेह प्रेम)। जन्यु शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वैश्वानर (अग्नि-आग) २. धाता (विधाता ब्रह्मा) और ३. प्राणी (प्राणीमात्र)। क्योंकि जन्यु शब्द का यौगिक अर्थ उत्पन्न होने वाला होता है इसीलिये प्राणीमात्र को जन्यु शब्द से व्यवहार हो सकता मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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