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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित - गव्यूति शब्द | ८७ स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. गोरोचना (गोलोचन), २. गोत्रा (पृथिवी ) ३. गव्यूति ( दो कोश) और ४. ज्या (प्रत्यञ्चा - धनुष की डोरी ) । मूल : गव्यूतिः स्त्री क्रोशयुगे गव्यूतं गोरुतं तथा । गहनं कान दुःखे कलिले ( सघने) गह्वरेऽसुगे ।। ४६७ ।। हिन्दी टोका-गव्यूति शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ- क्रोशयुग (दो कोश) होता है । गव्यूत शब्द नपुंसक है और उसका भी अर्थ - क्रोशयुग (दो कोश) होता है । गोरुत शब्द नपुंसक है आर उसका भी अर्थ क्रोशयुग (दो कोश) ही होता है ( क्योंकि गो पशु की आवाज दो कोश तक जा सकती है) । गहन शब्द नपुंसक है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं - १. कानन ( वन जंगल ) २. दुःख (कष्ट) ३. कलिल (पाप) ( सघन को भी गहन कहते हैं) इसीलिए कहीं पर ( सघन ) ऐसा भी पाठ पाया जाता है । ४. गव्हर ( गुफा, बिल) और ५. असुग को भी गहन कहते हैं जो कि सुगम्य (सरल रीति से जाने लायक ) नहीं हो ऐसा बीहड़ मार्ग को असुग कहा जाता है इसलिए गहन शब्द का पाँचवाँ अर्थ असुग कहा गया है । मूल : गह्वरं रोदने दम्भे गुहायां वन कुञ्जयोः । गांगेय भद्रमस्तायां स्कन्दे भीष्मे झषान्तरे ।। ४६८ ।। हिन्दी टीका - गह्वर शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. रोदन ( रोना) २. दम्भ (आडम्बर) ३. गुहा (गुफा) ४. वन (जंगल - विपिन) और ५. कुञ्ज (झाड़ी) । गांगेय शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. भद्रमुस्ता (मोथा विशेष ) २. स्कन्द ( कार्तिकेय) ३. भीष्म ( भीष्म पितामह क्योंकि वह भी गंगा के पुत्र माने जाते हैं, कार्तिकेय को भी गांगेय कहा गया है क्योंकि वह भी गंगा के पुत्र माने जाते हैं) और ४. झषान्तर (मछली वगैरह जलचर जन्तु को भी) गांगेय कहा जाता है । वे सब मकर ग्राह मछली वगैरह गंगा वगैरह नदी में रहते हैं । मूल : क्लीवं काञ्चने-धूस्तूर - मुस्तकेषु कशेरुणि । गातु हिन्दी टीका - क्लीव नपुंसक गांगेय शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. काञ्चन (सोना) २. धूस्तूर (धतूर) ३. मुस्तक (मोथा) और ४. कशेरु (केशौर) । गातु शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. गायन ( गानकर्ता ) २. गन्धर्व (देवयोनि विशेष ) ३. रोषण ( गुस्सा करना ) ४. अलि (भ्रमर) और ५. पिक (कोयल) । इस प्रकार गातु शब्द के पाँव अर्थ समझना चाहिये क्योंकि गायक- गन्धर्व भ्रमर-कोयल गान करते हैं । मूल : Jain Education International र्गायन - गन्धर्व - रोषणाऽलि पिकेष्वपि ॥ ४६६ ॥ गाथा श्लोके संस्कृतान्य-भाषायां गेयवृत्तयोः । गान्धारी धृतराष्ट्रस्त्री - जिनशासन देवता ॥ ४७० ॥ हिन्दी टीका - गाथा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. श्लोक (पद्य बन्ध) २. संस्कृतान्य भाषा (संस्कृत से भिन्न भाषा हिन्दी - बंगाली - मैथिली मागधी-शौरसेनी - महाराष्ट्री-गुजराती आदि) ३. गेय (गान करने योग्य) और ४. वृत्त (छन्दोमय पद्य ) को सो गाथा कहते हैं) । गान्धारी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. धृतराष्ट्र-स्त्री (धृतराष्ट्र की पत्नी) और २. जिनशासन देवी (जिनधर्म देवी) | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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