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________________ मूल : गतिमी ८४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-गण्डक शब्द मूल : गण्डकस्त्वन्तराये स्यात् खङ्गि विद्याविशेषयोः । संख्या प्रभेदेऽवच्छेदे गण्डकी सरिदन्तरे ॥ ४४६ ॥ हिन्दी टोका-गण्डक शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. अन्तराय • (विघ्न बाधा) २. खङ्गो (गैण्डा) ३. विद्याविशेष, ४. संख्याप्रभेद (सख्याविशेष) और ५. अवच्छेद (एकदेश) । गण्डकी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-सरिदन्तर (नदीविशेष--गण्डकी नदी) है। गतिर्नाडीव्रणे ज्ञाने मार्गे यात्राऽभ्युपाययोः । दशायां गमने प्राप्तौ गत्वरः शीघ्रगे त्रिषु ॥ ४५० ॥ हिन्दी टीका-गति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं-१. नाडीव्रण (नाड़ी धमनी का घाव) २. ज्ञान, ३. मार्ग, ४. यात्रा, ५. अभ्युपाय (मार्गदर्शन) ६. दशा (अवस्थाविशेष) ७. गमन, ८. प्राप्ति । गत्वर शब्द शीघ्रग (जल्दी वेग से चलने वाला) अर्थ में त्रिलिंग है। मूल : गदं विषे गदो रोगे कृष्णभ्रातरि भाषणे । गन्धः शोभाञ्जने गर्वे सौरभे घृष्टचन्दने ॥ ४५१ ।। आमोदे गन्धके लेशे सम्बन्धे गन्धमोदने । हिन्दी टोका-गद शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. गद (विषविशेष) २. गद (रोगविशेष) ३. कृष्णभ्रातरि (कृष्ण का भाई) और ४. गद (भाषणविशेष-गदगद वाणी में बोलना)। गन्ध शब्द पुल्लिग है और उसके नौ अर्थ माने जाते हैं - १. शोभाजन (अञ्जन विशेष) २. गर्व (घमण्ड) ३. सौरभ (खुशबू) ४. घृष्ट चन्दन (मलयज चन्दन) ५. आमोद (विशेष खुशबू) ६. गन्धक (गन्धक द्रव्य) ७. लेश (अल्पमात्र) ८. सम्बन्ध और ६. गन्ध मोदन (उपधातु विशेष) इस तरह गन्ध शब्द का नौ अर्थ जानना चाहिये। मूल : गन्धनं सूचनोत्साह-हिंसासु च प्रकाशने ॥ ४५२ ॥ गन्धपत्रो मरुवके बर्बरे श्रीफलद्र मे । नारंगे श्वेतवृन्दायां शटीभेदे त्वसौ स्त्रियाम् ॥ ४५३ ।। हिन्दी टोका-गन्धन शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. सूचन (चुगली करना) २. उत्साह, ३. हिंसा और ४. प्रकाशन (अभिप्राय सूचित करना)। गन्धपत्र शब्द पुल्लिग माना जाता है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. मरुबक (मदन, मयन फल नाम का प्रसिद्ध वृक्ष) २. बर्बर (ब्रह्मनेटी, भारङ्गी, शाक विशेष) ३. श्रीफलद्र म (नारियल वृक्ष-बिल्ब फल वृक्ष) ४. नारङ्ग (नारङ्गी) ५. श्वेतवृन्दा (सफेद तुलसी पत्र)। किन्तु गन्धपत्र शब्द शटीभेद (साड़ी विशेष) अर्थ में स्त्रीलिंग माना जाता है। मूल : गन्धपुष्पोऽङ्कोठतरौ वेतसे बहुवारके । स्त्रियान्तु केतकी-नीली-गणिकारीष्वसौ मतः ॥ ४५४ ॥ हिन्दो टोका-गन्धपुष्प शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. अकोठतरु (अङ्कोल, ढेरा नाम का प्रसिद्ध वृक्ष) २. वेतस (बेत) ३. बहुवारक (बहुआर-लसोड़ा नाम से प्रसिद्ध वृक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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