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________________ शुद्धि-पत्र जैन पुराणकोश : ५४७ शब्द भेद पंक्ति पृ० सं० १६७ १६८ नाम दुषमा-दुषमा दुर्धर दुर्नखा अशुद्ध अंश नाग शुख अंश नाम दुदंर्श दुर्दर्श पपु० ६१, ८८-१११, ४५. २६-२८ दूरदर्शन १७२ तट अवगाहना पपु० ४५.२६-२८, ६१, ८८-१११ स्तुय नट अवनाहना का सामदेव थ। मपु० १०.१५, ४३,६७ सोमदेव थे। देवारण्य देहमान घनवती धनश्री धर्म धर्म नन्दक नन्द्यावत नमिनाथ नयनानन्द नाभि निकोत निगलनिदर्शन १८८ १९२ 3rmr24.orrrr" मपु० १०.१५, ७६.३५२-३५३ ४३.६७ नन्द्यावर्त पैंतालीस नन्द्यावर्त भोग्य और पतालोस नन्द्यावत भाग्य आर १९८ २०० बड़ो बेड़ी निधि २०६ २०८ २१० २११ २१३ नस्सW आहारह हपु० ३७.१-५५, १००-१२९ हपु० ५.१२१, १२६.१३२ पदमकावता चन्दध्वज मपु० २५.११० मपु० ९.१९६ २५-१७०, १८९ हपु० ५४. २१५ २१६ नोकर्म पंचकल्याणक पदम पद्मकावता पदमलता परमज्योति परमस्थान परमानन्द परविवाहकरण परात्यपर परादत परिंजा परिग्रहत्यागप्रतिमा परिणय पल्य पाण्डुक पात्रदत्ति पाप पित पावा पिहितानव पुण्डरीक पुण्डरीकिणी परादर्त भरतेष नैस्सय आहारक हपु० ३७.१-४७, ५५. १००-१२९ हपु० ५.१२१, १२६, १३२ पद्मकावती चक्रध्वज मपु० २५.१११ मपु० ९.१४६ मपु०२५.१७०,१८९ हपु० ५८. परापर परावर्त भरतेश और मपु० १५.५०, ६२-६४, ठोक-ठोक हपु०८.१९०,३८.४ वीवच. १३.२९-३० पापापेत अपर नाम ६३.१३९ दस मपु० ६.२६, ५८,८५-८६, २१८ २२० मपु० १५.३०, २५.६२-६४ ठीक-ठीक हपु० ८.३८,४४, १९० वीवच० १३.२-३० २२२ अपर नाथ ६३.१६९ २२३ दक्ष २२४ मपु० ६.२६, ४६, १९, ५८,८५-८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016061
Book TitleJain Puran kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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