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________________ सन्दर्भ १००. १०१. १०२. तपन सिंहसप्रभु १०८. ० . १४. २०. २२. परिशिष्ट जैन पुराणकोश : ५४१ क्रमांक नाम राजा क्र० सं० नाम नृप सन्दर्भ शशांकास्य पपु० ५.५० अविध्वंस पपु० ५.८, हपु० १३.११ संभिन्न मपु० ६२.२४१-२६४ इन्द्रधुम्न पपु० ५.७. हपु० १३.१० सहस्रग्रीव मपु०६८.७-१२ उदितपराक्रम पपु० ५.७, हपु० १३.१० १०३. सहस्रार पपु० ७.१-२ गरुडांक पपु० ५.८, हपु० १३.११ १०४. सिंहकेतु पपु० ५.५० पपु० ५.६, हपु० १३.९ १०५. सिंहयान पपु० ५.४९ तेजस्वी पपु० ५.६, हपु० १३.९ पपु० ५.४९ प्रभु पपु० ५.८, हपु० १३.११ १०७. सुकुण्डली मपु० ६२.३६१-३६२ १२. प्रभूततेज पपु० ५.६, हपु० १३.९ सुवक्त्र पपु० ५.२० बल पपु० ५.४, हपु० १३.८ १०९. सुव्रज पपु० ५.१८ भद्र पपु० ५.६, हपु० १३.९ हरिचंद पपु० ५.५२ १५. महाबल पपु० ५.५, हपु० १३.८ १११. हरिवाहन मपु०७१.२५२-२५७ मृगांक पपु० ५.८, हपु० १३.११ ११२. हरिवेग पपु० ९३.१-५७ महेन्द्रजित् पपु० ५.७, हपु० १३.१० ११३. हिरण्याभ पपु० १५.३७-३८ महेन्द्रविक्रम पपु० ५.७, हपु० १३.१० ११४. पपु० ६.५६४-५६५ रवितेज पपु० ५.६, हपु० १३.९ समवसरण-तृतीय कोट-द्वार-नाम विभु पपु० ५.६, हपु० १३.११ २१. वीतभी पपु० ५.८, हपु० १३.११ पूर्वी द्वार के आठ नाम वृषभध्वज पपु० ५.८, हपु० १३.११ १. विजय २. विश्रुत ३. कीर्ति ४. विमल २३. शशी पपु० ५.६, हपु० १३.९ ५. उदय ६. विश्वधुक ७. वासवीर्य ८. वर २४. सागर पपु० ५.६, हपु० १३.९ हपु० ५७.५७ २५. सितयस पपु० ५.४, हपु० १३.७ दक्षिण द्वार के बाठ नाम सुबल पपु० ५.५, हपु० १३.८ १. वैजयन्त २. शिव ३. ज्येष्ठ ४. वरिष्ठ २७. सुभद्र पपु० ५.६, हपु० १३.९ ५. अनघ ६. धारण ७. याम्य ८. अप्रतिष २८. सुवीर्य पपु० ५.७, हपु० १३.१० हपु० ५७.५८ २९. सूर्य पपु० ५.७, हपु० १३.१० उत्तरी द्वार के आठ नाम १. अपराजित २. अर्चाख्य ३. अतुलार्थ ४. अमोधक इन राजाओं के नाम पद्मपुराण और हरिवंशपुराण में समान क्रम में ६. अक्षय ५. उदय ७. उदक कक आये है। हरिवंशपुराण में बलांक को बल, सितयश को स्मितयस और हपु० ५७.६० उदितपराक्रम को उदितप्रभ कहा गया है। पश्चिम द्वार के आठ नाम सोमवंश १. जयन्त २. अमितसागर ३. सार ४. सुधाम इसे चन्द्रवंश और ऋषिवंश भी कहा गया है५. अक्षोभ्य ६. सुप्रभ ८. वरद ७. वरुण हपु० ५७.५९ इस वंश में चार राजाओं का नामोल्लेख हुआ है। आचार्य रविषेण सूर्यवंश | आदित्यवंश और आचार्य जिनसेन ने चारों राजाओं के नाम तथा उनका क्रम समान दर्शाया है । राजाओं के नाम अकारादि क्रम में निम्न प्रकार हैअकारादि क्रम में इस वंश में निम्न राजा हुए हैंक्र.सं. नाम नृप सन्दर्भ क्रमांक नाम राजा सम्वों अतिबल पपु० ५.५, हपु० १३.८ भुजबली पपु० ५.१२, हपु० १३.१७ अतिवीर्य पपु० ५.७, हपु० १३.१० महाबल पपु० ५.१२, हपु० १३.१६ अमृतबल पपु० ५.५, हपृ० १३.८ पपु० ५.१२, हपु० १३.१७ अर्ककीति पपु० ५.४, हपु० १३.७ सोमयश पपु० ५.११, हपु० १३.१६ ६८ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016061
Book TitleJain Puran kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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