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________________ परिशिष्ट जैन पुराणकोश : ५३५ सन्दर्भ पर्व श्लोक संख्या क्रमांक नाम नाम पुराण नाम पुराण पाण्डव पु० ५६. पाण्डव पु० २०५ सन्दर्भ पर्व श्लोक संख्या क्रमांक नाम १९९ ९७. कांचन __९८. सुध्वज _९९. सुभुज " १००. अरज २०० ९८. सुदुःसह सुदर्शन चित्रसेन सेनानी दुःपराजय पराजित कुण्डशायी विशालाक्ष जय ६६. ६७. ७४. ७७. दृढहस्त सुहस्त वातवेग सुवर्चस् आदित्यकेतु बह्वाशो निबन्ध विप्रियोदि कवची रणशोण्ड कुण्डधार धनुर्धर उग्ररथ भीमरथ शूरबाहु अलोलुप अभय रौद्रकर्मा दृढरथ अनादृष्ट कुण्डभेदी विराजी दीर्घलोचन प्रथम प्रमाथी दीर्घालाप वीर्यवान् १४. राक्षस वंश इस वंश में अकारादि क्रम में निम्न राजा हुए हैंक्र० सं० नाम राजा सन्दर्भ अनिल पपु० ५.३९७ अनुत्तर पपु० ५.३९६ अमृतवेग पपु० ५.३९३ अरिमर्दन पपु० ५.३९६ अरिसंत्रास पपु० ५.३९८ अर्हद्भक्ति पपु० ५.३९६ आदित्यगति पपु० ५.३८ पपु० ५.३९४ इन्द्रजित् पपु० ५.३९४ इन्द्रप्रभ पपु० ५.३९४ उग्रश्री पपु० ५.३९६ उद्धारक पपु० ५.३९५ कीर्तिधवल पपु० ५.४०३ गतप्रभ पपु० ५.३९७ गृहक्षोभ पपु० ५.३९८ १६. घनप्रभ पपु० ५.४०३ चकार पपु० ५.३९५ चण्ड पपु० ५.३९७ चन्द्रावर्त पपु० ५.३९८ चामुण्ड पपु० ५.३९६ २१. चिन्तागति पपु० ५.३९३ जितभास्कर पपु० ५.३९८ त्रिजट पपु० ५.३९५ २४. द्विपवाह पपु० ५.३९६ नक्षत्रदमन पपु० ५.३९८ निर्वाणभक्ति • पपु० ५.३९६ २७. पवि पपु० ५.३९४ २८. पूजाह पपु० ५.३८८ प्रमोद पपु० ५.३९५ बृहत्कांत पपु० ५.३९८ बृहद्गति पपु० ५.३९७ ३२. भानु पपु० ५.३९४ ७९. १९. २३. २५. दीर्घबाहु ३०. महावक्ष दृढवक्ष सुलक्षण कनक २०५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016061
Book TitleJain Puran kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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