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________________ शुद्धि-पत्र पृष्ठ ४४५ ४५३ ४६८ ४७४ शब्द पडिसेवेत्तु पदिस्सा परिनिव्वुय परिहव पाउब्भवमाण पासायडिंसय पाहणा ४८५ ४६६ ४६७ ५०२ ५०२ ५११ ५११ ५१३ ५१५ अशुद्ध (प्रतिषवित) (प्रतिषेवितृ) (प्रदृष्ट्वा ) (प्रदृश्य) (परिनिवृत) (परिनिवृत) (पार+भू) (परि+भू) (पादुर्भवत्) (प्रादुर्भवत्) (प्रासादवतंसक) (प्रासादावतंसक) (उपानत्) (उपानह) पुक्खलसवट्टय पुक्खलसंवट्टय (पुष्कल संवर्त) (पुष्कलसंवर्तक) (पुरः कमकृत) (पुरः कर्मकृत) (पुरोवत) (पुरोवात) (पूर्वत्तभाद्रपदा) (पूर्वाभाद्रपदा) सू० ११३७७ सू०११३१७७ (पाषध) (पौषध) नाया ११७।३३१।२३६२ नाया० ११८२३६।२; १११७४३३ (ब्रह्मचयवास) (ब्रह्मचर्यवास) (द्विचत्वारिंशविध) (द्विचत्वारिंशद्विध) (बाहुप्रमदिन) (बाहुप्रमदिन्) १. परिशीवट १. शिरीषवट (भग्नसधिक) (भग्नसंधिक) (भक्ति चित्त) (भक्तिचित्र) ५१५ पुक्खलसंवट्टत पुरेकम्मकय पुरेवाय पुन्वभद्दवया पूयणा (पूजना) पूयणा (पूतना) पोसह बंध बंभचेरवास बायालीसविह बाहुप्पमदि भंडीर' भग्गसंधिय भत्तिचित्त भमुह ५१६ ५२४ ५२५ ५३१ * ५४३ ५४४ ५४४ भयक ५५२ (भृत्तक) (भिभिसार) भिभिसार ५५४ ५६४ मग्गसिर मग्गविदु (भृतक) (भिभिसार) भी (भी)-अहेसि आ० ६।३१६ नाया० ११७५ (मार्गविद्). मयगंध (मृतगन्ध) मरुण (धम्म) ५६४ ५७३ ५७३ मरुता महज्जुतीय अंत० नाया० ११५,७५ (मागविद्) मयगंधि (मयगंधि) मरुण-धम्म अत० २१८० महद्दम महाकच्छा (महाकक्षा) ठा० ४।१७१ ५७३ ५७६ ५७६ ५७७ भ० २८० महद्दुम ८२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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