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________________ शुद्धि-पत्र १८६ शब्द ओयर ओवाइणित्ता १६० १६३ अशुद्ध (अव+तु) (उपयाचय) (कङ्ग) कंगु (अव+त) (उपयाच्य) (कङ गु) (कंडू) (कक्खट) (कर्पूर) १६४ १६६ २०४ २०४ २१५ कक्खड कप्पूर कम्म काउंबरिया काकणिरयण काकणी कागणि २१६ २१६ २१६ २१८ २२३ २२७ २३१ कालोदाइ कुंटत्त कुम्मग कुविय केसर केसरसडा (कवखट) (कर्पूर) सू० १।६।१७ (काकोदुम्बिरिका) (काकिनीरत्न) (काकिनी) (काकणी) कायपत्त (कालोदाइन्) (कुटत्व) (कुर्मक) (कुप्प) (केशर) (केशरसटा) कोदुव खत्तियकंडग्गाम ठा०६८० (ग्रामघानिक) (गायमान) (गुप्तद्रिय) गेख्य (गेरुक) २३२ २३७ २३७ २३६ २४३ २५४ २५६ २६० (काकोदुम्बरिका) (काकिणीरत्न) (काकिणी) (काकिणी) काय (पत्त) (कालोदायिन्) (कुण्टत्व) (कूर्मक) (कुप्य) (केसर) (केसरसटा) कोद्दव खत्तियकुंडग्गाम ठा० ६२० (ग्रामघातिक) (गायत्) (गुप्तेन्द्रिय) गेरुय (गैरिक) (गौष्ठिक) (चतुर्विशत्तम) (चतुर्दिश्) (चतुष्षष्टि) गब्भवक्कंतिय गामघातिय गायमाण गुत्तिदिय २६६ २६७ २७४ (गौष्टिक) २७५ गोट्ठिल्लय चउत्तीस इम चउदिसि चउसट्टि चिसपल्ल चोयग २७७ २८६ २६१ ३११ ३१२ ३१४ ३१४ (चतुत्रिंशत्तम) (चतुर्दिक्) (चतुष्षष्ठि) स० ठा० जिणकल्प आचू० २६।६, १२३६ (जावारम्भिकी) (जीवदष्टिजा) जीव जीवआरंभिया जीवदिट्ठिया भ० जिणकप्प आ० चू० २६।६, ३६ (जीवारम्भिकी) (जीवदृष्टिजा) ८१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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