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________________ संपत्ति आगम शब्दकोश संपलियंक से ५; २।१ से ३, ६; ३।१ से ३, ६३, ७५. विवा० संपराइयबंध [साम्परायिकबन्ध] भ०८।३०२ १२११४,५,६,७, ८, २०,७१; १।२।१,४८, ७४, १।३।१, संपराइया [साम्परायिकी भ० ११४४; ७।४, ५,२०, ६६; १।४।१, ४०; ११२१, ३०; १।६।१,३८; १७११, २१, १२५, १२६; १०।११ से १४; १८।१५६,१६० ३६; ११८१,२८; १।६।१,६०; १।१०।१,२०,२।१।१से संपराय [सम्पराय] सू० ११५।५०; ११८।८; २।६।४६. ३,३७, २११०१२ नाया० १९१२; १।१६।१८५ संपत्ति [संप्राप्ति ] ठा० ४।५१४. भ० ३।४, ५, १६, १८, संपरिक्खित्त [संपरिक्षिप्त ] ठा० ३।५२५; ४।३३६.. १९६; ८८८ से ११; १२।१८४; १३।१५०. नाया० भ० २१११८, ६७; ११।१०६; १३१६६. अत० २११४६, ५०, ५३ १११२ संपत्ति [सम्पत्ति ] विवा० १।२।२७ संपरिक्खिवित्ता [संपरिक्षिप्य ] ठा० ५।१०२ संपत्थिय [संप्रस्थित] नाया०१।१।६५,१४३, १।८।२१५. संपरिवुड [सम्परिवृत] सू० २।२।३१. भ० २।९५; __ अंत०५।१६; ६।४६, ४७ ७।१७७, १८६, १९६; ६।१४५; २०५, २२२; संपदाण[संप्रदान] आ० चू० १५।२६।१ १०।६६; १११६१, १६२, १३।११, ११५, १२०; संपदायक[सम्प्रदायक] पण्हा० ३।३ १४१७५; १५८०, १०१, १२६; १६५५, ६७%; संपदावण [संप्रदान] ठा० ८।२४।१ १८।२०५. नाया० ११११४, २४, ६७, ६६, ६६,११८, संपधूमिय[सप्रधूमित] आ० चू० २।१०; ५।१२;६।११; १५८, १६५, १६८, १७५; १०२।१२, १७, १६,२५, ८।१०।६।१०।१०।११ २७,२६; ११५१०,१७, २०, ५२, ६५, ७६, ८३, संपन्न [सम्पन्न भ० १।२८८; २१७०, ७१, ६५, ६७; ६४, १०४; ११८१५४, ५७, ६३, १४, १२३, १४१, ३।१७,५७८, ८।२७२,४५०,१०१४४,६४;११११६२; १४७ से १४६,१६१, १६३,१६६,२०२; १११३।१५, १५।१०४, १७७. नाया० १।१३।४५।१ ४०; १११४१८,१८,५३, ६४,१११५।१८,१।१६।४१, संपन्नया[सम्पन्नता] भ० ६।३३, ५५; १११७१,७७, १३४, १४१, १४५, १४६, १४६, १५३, १५६,१५७, १८७; १४।१०६; १७१४८ १७४, १८४, १६५, २०८,२२५, २३३, २३७, २४८, संपमज्ज[सं+प्रमृज्] ---संपमज्जिज्जति, सम०३४।१ २६४, २६५, ३०३; १।१९।२६, ३४; २।११३, १०, संपमज्जिऊण [सम्प्रमृज्य] पण्हा० ६।२० १६, २६. उवा०१।३. अंत०६।७७.पण्हा०३१४, १६. संपमार [सं+प्र+मारय] -संपमारए, आ० १।३० विवा० ११११२; ११२।१४, ३७; १।३।१३, २४, २८, संपय [साम्प्रत] भ० १३।१३८, १४१ ३६,४३, ६०,११५।२२; १४६७,११८१७:१।४।२७, संपय [सं-पत्] ---संपयंति, आ० ११८५. सू० ११७७ ३६, ४० ४५; २।१११६ संपया [संपदा] ठा० ३१५३४; ४।६४७; ६७८; संपरिहाव [स+परि+धाव्]-संपरिहावइ, आ०चू० ८।११५;सम०प्र०१४.नाया०१।८।२३२; १।११।१०।२, १३३ ६. उवा ०७।१०, ११,१७, १८, ४५.विवा०१।१३५३; संपलग्ग [संप्रलग्न] नाया० १।८।१६४; १।१६।२५१, ११८।२१; १११०११३ २५४, २५५; १।१८।४०.विवा० १।२।५६; ११३।४८; संपयाण [सम्प्रदान] नाया० ११८१६४, १६५. १६८, १।४।२४; १।५।२६ २०१; १।१३।२६; १।१६।२१३, २२३ संपलग्गंत [सम्प्रलगत्] नाया० १।१६।२५६ संपयोग [संप्रपयोग] भ० २५।६०१ संपलित्त [संप्रदीप्त] नाया० १।१।१५६; १।२।३५. संपराइगा [सांपरायिकी] ठा० २।४ पण्हा० १।२६, ३१ ; २।१७; ३।२४; ७१८ पसंराइय [साम्परायिक] आ०चू०२।२५. सू०२।११६४ संपलिमज्जाण [संपरिमज्जत् आ० ५७० २।२।४८. भ० ८।३०६ संपलियंक [संपर्यंक] ठा०४।३३६. भ०२।६८, ७।२०३, ७०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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