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________________ विकड आगम शब्दकोश विक्खेव २६ विकड [विकट] भ० १५१६३ विकोसिय[विकोशित] नाया० १।८।७२ विकड्ड [वि+ कृष्] -विकड्ढ,पण्हा० १।२७ विक्क [वि+क्रो]-विक्केह, पण्ह।०२।१३ विकढग [विकर्षक] सम० प्र० २४१ विक्कंत[विक्रान्त] भ०११।१३४,१४२. नाया०१।१।२०, विकडमाण [विकर्षत् ] उवा० ८।२७,३८,४६ विकत [वि+कृत्] -विकत्तंति,सू० १।५।२६. विक्कंति [विक्रान्ति ]नाया० १।१६।१६३ -विकत्ताहि.पण्हा०१।२७ विक्कम [विक्रम] सम०प्र० २४१. पण्हा० ३।५,४।५,७ विकत्तु [विकर्त] भ०२०।१७ विक्कय [विक्रय] आ० २।१०६. सू०,२।२।५८, ६३,७१. विकत्थ[वि+कथय] -विकत्थएज्जा,सू० १।१४।२१ भ० ३।२६८ विकप्प [विकल्प] ठा० ४।२४४. भ० ७.१७५, १८४. विक्किणमाण [विक्रीय माण] भ० ५।१२८ से १३२ __नाया० १।१६।२४७. पण्हा०१।१४ विक्किणित्ता[विक्रीय] सू० २।१।२८ विकप्पण[विकल्पन] पण्हा० ११३० विक्कित्त[विकृत्त]पण्हा० ३।१६ विकय [विकृत] पण्हा० १।३७; २।१६; ३।५ विक्किरिज्जमाण[विकीर्यमाण] भ ० १६१०६ विकरणकर[विकरणकर] नाया०१।८।२२५; १।१४।८३ विक्कोसंत [विक्रोशत् ]पण्हा० ४।६ विकल [विकल] भ० ७।११६ विक्खंभ [विष्कम्भ] ठा० १।२४८; २।२६८, २७० से विकसंत [विकसत् ] सम० प्र० २४१ २७२, २७४, २७६, २८१, २८७, ३२७, ४१३१८, विकहकर [विकथाकर] पण्हा० ८.५ ३२०, ३३५, ३३६, ३३८ से ३४०, ३४४; ८.५६ से विकहा[विकथा] ठा० ४।२४१; ७।८०. पहा० ७।१२, ५६, ६३, ८५, ८६, ६२,६।२१, २२।११, ६७; __१८; १०१ १०।२६, ३४, ३५,३६, ३८,४० से ४४, ४७, ४८, विकहाणुजोग[विकथानुयोग] सम० २६।१ ५२, ५४, ६०, १५६, १५७. सम० १२२ से २५; विकिण्ण [विकीर्ण] भ० ६।१६८. नाया० १।१।१०५. . १०।३।१२।४, ६,७,१३।३;१६१६,३३३३,४५।१६, ____ अंत० ३३६७, पण्हा० ३१५ २;४८।३,५०१४,७; ६४।४; ६७१४,७४।२; ६६४ विकिरण[विकिरण] भ० ६।४६, ८८ से ६,१००1८प्र०२४, २८, २६, ५६,५८, ५६,७५ विकिरणकर[विकिरणकर] अंत० ३।६२, १०१ से ७७,७६, ६२, १६६. भ० २।४५,४७,११२,११३, विकुज्जिय [विकुब्ज्य ] आ० चू० ३।४० ११८, १२०, १२१ ; ३१२५०, २५१; २५५; ६१७४, विकव्व[वि+कृ]--विकुव्वइ,भ०३।१६४.-विकुवंति ७५, ६१,१३४; ६७; १०६६; ११११०६, ११०% भ० ३।३८.-विकुव्वति, ठा० २१२०७. भ० ३।४. १२।१३०; १३।६६; १४।७४, ७५; १५।१०१.नाया० -विकुविसु , भ० ३।४.-विकुव्विस्सति, भ०३।४ १।४।१३ विकुव्वणया[विकरण] सम० प्र०१७५ विक्खय [विक्षत] भ० ७।११६ विकुव्वणा[विकरण]ठा० ३।४ से ६. भ० ३।२२१।१ विक्खिण्ण[विकीर्ण ] भ० १४१३; १६।६८ विकुव्वमाण [विकुर्वाण] ठा० ३।६६ से ७१, ७३. भ० विक्खित्त[विक्षिप्त ठा० ४१५७७. पण्हा० १।२६ ३२१६४ विक्खित्ता [विक्षिप्ता] ठा० ६।४५।१ विकुवित्तए[विकतम् ] भ० ३।४, १४ विक्खिर [वि + कृ] - विक्खिरति, भ० १६६८. विकुग्वित्ता [विकृत्य] ठा० ७।२. भ० ३।१६२ -विविखरेइ, उवा० ७।२६.—विक्खिरेज्ज, उवा० विकुम्वेमाण [विकुर्वाण]भ० ३।६० ७।२५.-विक्खि रेज्जा, भ० १४१३ विकुस [विकुश] भ• ६।१३५ विक्खिरमाण[विकीर्यमाण ] भ० १६१६८ विकोवणया[विकोपनता] ठा० ६।१३ विक्खेव[विक्षेप] भ० ३।११३. पण्हा० ३।२; ६।१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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