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________________ पित्तजरे अगंसुत्ताणि शब्दसूची पियर ११८४८, ६१. अंत० ३१७६. पण्हा० ११११,१०६ ६ ।६२. सम०प्र० १८८. भ० ११३५७, २१५२, ६८% पित्तज्जर [पित्तज्वर] भ०६।२२४; १५।११३, ११४, ७।२०३, २०४, २०६; १३७, १५०, १६६, २०८, १४१, १४६, १५२. नाया० १११११६२, १८७%; २१०, २१४,१११६१, १३३,१३४, १४७, १३।१०२, ११५।१०६; १११६।२०, ४०, ४५ ११०,११६; १४।१०६,१२६. नाया० १११११६,४६, पित्तत्त [पित्तत्व] भ० ३।१६१ ४८, ५०, ७४, १०६,१०७, १४३, १४५,१४६,१५४, पित्तासर्व [पित्ताश्रव] अंत० ३।७६ २०६१।२।१२; १।३।२४; ११४१६, १८,१।५।२०, पित्तिय [पितृव्य] आ० चू० १५।१६ ३०, ६७, २०३, १ ४०; १।१४।३७, ४३, ५०, पित्तिय [पैत्तिक] ठा० ४।५१५. भ० २।५२, ६८; ५३; १११६।४७, ४८, ७०, ७६,६७, १३१, १८५, ७।२०३; ६।१५०, १७७, २१४; १४।१०६. नाया० २०४१।१६।४६.उवा०१।१४,४।४५; १४५;७।८१. - १११११७, ११२, ११३, २०६; ११५७२. अंत० अंत० ३१५१, ६८,६६; २२५.पण्हा० ३।१, २६:४१५; ३७२, ७३ ७।२१. विवा० ११११६०; ११२।७,१०,२७,१११।२०, पिपीलिका [ पिपीलिका] पण्हा० ११३३ १२६१६; २।१।१५ पिपीलिग [ पिपीलक] नाया० १।१६।१८, १६ पियंगु [प्रियङ्गु] ठा०२।४३६.सम०प्र० २३१।१.नाया० पिप्परी [पिप्पली] भ० ८।२२०।२ १८।२३४. विवा० १।१०।३, ६, १० पिप्पल [पिप्पल] आ० चू० २१६५; ७१५४. विवा० पियकारिणी [प्रियकारिणी] आ० चू० १५५१८ १।६।२२,२३ पियचंद [प्रियचन्द्र] विवा० २।६।१ पिप्पलग [पिप्पलक] आ० चू० २।६३ पियजीवि [प्रियजीविन्] आ० २।६३ पिप्पलय [पिप्पलक | आ० चू० ७२ पियजीविय [प्रियजीवित] पण्हा० १।१० पिप्पलिचुण्ण [पिप्पलीचूर्ण] आ० चू० १।१०७ पिय? [प्रियार्थ] ठा० ४।५६३ पिप्पली [पिप्पली] आ० ५० १।१०७. सू०१२।६।३७. पियत्त [प्रियता] भ०६।२२ भ० २२।३ पियदसण [प्रियदर्शन]ठा० २।३३२;६।६२; १०।१३६. पिब [पा] -पिबइ, नाया० १११।१६१.-पिबंति, भ० सम० १६।३।१;प्र० २४१.भ० ११।१३४, १३८,१४६, १५४८९. -पिबामि, ठा०३।२५६.-पिबिस्सामि, १२।१२५. नाया०१।१।१६,१७,२४; १।२।८; ११५॥३, ठा० ३।२५७ ८; १११४।२५. विवा० २।१।१५ पिबित्ता [पीत्वा] आ०चू० १॥३१. ठा० ३।२५५.नाया० पियदसणा [प्रियदर्शना] आ० चू० १५।२३ १।११६१ पियदरिसण [प्रियदर्शन] ठा० ६।३९।१ पिय [पा] ---पिपाइए, सू० २।४।२३. —पिय, पण्हा० पियधम्म [ प्रियधर्मन् ] ठा०४।४२१; १०।७२.भ०१२।१६. १।२६.—पियइ,भ०१५।१२५.–पियति,सू०१३३७१. नाया० ११८७६. पण्हा० ७।१३ -पियती, ठा० ७।४३।४ पियभाउय [प्रियभ्रातृक] नाया०१।१६।२०६;१।१९।३३ पिय [पित] आ० २।२. आ० चू०१५।१७. ठा० ३।३६२; पियमारण [पिबत् ] भ० १५।१२०, १२१, १२६.नाया० ४।४३४.भ० ६।१८०,१८१, १८४,१८७, १६१,१६६, १।१३।२५, ३४, ३८. विवा० १११।६० २०२, २०५. अणु० १११५; २।५; ३७४ पियमित्त [प्रियमित्र ] सम० प्र० २४२११ पिय[प्रिय ] आ०२१५७,६३,६४.सू०१।१०।७; १।१३।२२; पियय [प्रियक ] सम० प्र० २३१११ १।१५।८।२।२७८, ७६. ठा०२।२३३से ३३८,८।१०; पियर [पितृ] ठा० ३।८७; ४१५३८, ६।१६, ६२.सम० प्र०६४ से ६७, ६६,२२०१४,२३४, २३८,२५३,२५५, १. सपिप्पलीयं =सपिप्पलीक । २५६, २५६. भ० ६।१६४ से१ ६७, १७० से १७६, ४६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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