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________________ पपिहिय परपीडन] ART३।१२ परिनिन्वायंत आगम शब्दकोश परिभुजेमाण परिनिव्वायंत [परिनिर्वात् ] भ० १४।८५ परिभाअ [परि+भाजय] - परिभाइज्जइ, नाया० परिनिव्वुड[परिनिर्वृत] भ०११४३३; २।१७; ५।२५७; १।८२०० ७।२३२; ६।१३५, १५१, १५५.नाया०१।५।३५,८४, परिभाईत [परिभाजयत् आ० चू० ११।१८; १२।१५ १०५, १२८; १।१६।३२२, ३२४ परिभाइज्जमाण [परिभाज्यमान ] आ० चू० १।४६ परिनिन्वय [परिनिर्वृत] आ०चू० १५२.अंत०३।६२ परिभाइत्ता [परिभाज्य ] नाया० १॥५॥४५ परिनेव्वाण [परिनिर्वाण] नाया० १।१।२०६ परिभाइय [परिभाजित] आ० चू० २।४४ परिपच्चमाण [परिपच्यमान आ०५।१६.सू०१।१०।४ परिभाए[परिभाजयितुम् ] भ०६।१७५. अंत०३७० परिपड [परि+पत्] -परिपडंति, ठा० २।२२३ परिभाएत्ता [परिभाज्य] आ०चू० १११३५.अंत०५।११ परिपस्सओ [परिपार्वतस्] भ० १४।१,२ परिभाएमाण [परिभाजयत् ] आ० चू० ११५७. भ० परिपाग [परिपाक] आ० ६।८ ३।३३; ११६३; १२॥४, ६, १२ से १४, १८:नाया० परिपिहित्ता [परिपिधाय] आ० चू० २।७५; ८।२६ ११११६७; ११२।१४, १७, २०; ११३।१५; ११८१६९; परिपिहिय [परिपिहित] आ० चू० ११५४ १२।४, २२; १११३।२१; १११६१६२, ६३, १५२; परिपीलण [परिपीडन] पण्हा० १।३० १।१८।३३.विवा०१।२।२४,२६, २६, ४१, १२३।२१, परिपीलित [परिपीडित ] पण्हा० ३।१२ २४,२८,४७, ६०,११४।१६,११७।१६, २७; ११८१२, परिपीलिय [परिपीडित] भ०७।११६ १६; १।६।२६, ४५ परिपीलियाण परिपीड्य ] आ० चू० १।१०४ । परिभाग [परिभाग] भ० २५॥३३१, ३३५, ४७८ परिपीलेत्ता [परिपीड्य ] सू० १।३।७० परिभाय [परि+भाजय] -परिभाएति, विवा० परिपुयावइत्ता [परिप्लुतयित्वा] ठा० ४।५७४ । ११७।२३. -परिभाएज्जा,आ०चू०१॥५७.-परिभापरिपेरंत [परिपर्यन्त ] नाया० १।४।७, ८; १।१३।३६; एह, आ० चू० ११५७. –परिभाएहि, आ०० ११५७ १।१६।२३; १।१७।२२. अंत० ६।२७, ३६. विवा० परिभायइत्ता [परिभाज्य] नाया० १।१६।२६ ११३।२० परिभायंतिया [परिभाजयन्तिका] नाया० ११७२६ परिफोसिय [परिस्पृष्ट] नाया० १।८।१४१, १५१; परिभायमाण [परिभाजयत् ] उवा० ११५७; ८१२०,२४ १।१६।१८७, १६८, २२८ परिभास [परि+भाष ] - परिभासइ,सू० २।७।३१. परिभट्ट [परिभ्रष्ट] नाया० १।१३।३६ ; १।१७।३७।५ --परिभासंति, सू० १।३।४७ परिब्भमंत [परिभ्रमत् ] नाया० १।१।१५६, १६८ परिभास [परिभाष ] ठा० ७।६६ परिभट्ट [परिभ्रष्ट] भ० ७।११६. पण्हा० ३।२४ परिभुज [परि+भु –परिभुंजेति, विवा०१७।२३ परिभम [परि+भ्रम् ] -परिभम इ, नाया० १।१७।७. परि जंत [परिभुजान] आ० चू० ११।१८; १२।१५ -परिभमंति, भ० १६१६१ परिभुंजणता [परिभोजन] सम० २५६१ परिभव [परिभव] पण्हा० ७।२१ परि जमाण [परिभुजान] भ०१४।१०८, १०६.उवा० परिभव [परि+भू] -परिभवई,सू०१।२।२४.-परि- ११५७,८।२०, २४. विवा० ११२।२४, २६, २६, ४१; भवंति,नाया०१।१६।११७.-परिभवति,सू०२।२।११. १।३।२१, २४,२८,४७, ६०; १।४।१६; ११७११६,२७; -परिभवेति, आ० चू० ३।६१. –परिभवेज्ज, आ० १।८।१२, १६; १९२६, ४५ । चु०३९ परि जित्तु [परिभोक्तृ] भ० ५।१४१ परिभवणिज्ज[परिभवनीय ] नाया०१।३।२४;१।४।१८; परिभुजेमाण [परिभुजान भ० ३।३३; ११।६३; ११।१२५; १।१६।४२ १२।४, ६, १२ से १४, १८. नाया ० १।१।६७, ८१; परिभविज्ज १।१६।११८ १।२।१४, १७,२०; ११३।१५; १।१२।४,२२,१११६।६, ४६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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