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________________ परंभर आगम शब्दकोश परपरिवाय परंभर [परम्भर] ठा० ४।४५४ परगणिय' [पारगणिक] ठा० ५।१६७ परंमुह [पराङ मुख] सू० १।३।६९. ठा० ३।३६४. भ० परघर [परगृह ] ठा०६।६२. पण्हा० ६।४; १०।६ . १७८. विवा० १११।३६ परचक्क [परचक्र] सम० ३४।१ परकम्मकारि [परकर्मकारिन् ] पण्हा० ३।२४ परचक्कराय [परचक्रराज] नाया० १६।१०।। परकिरिया [परक्रिया] आ० चू० १३।१ से ७८. सू० परच्छंदाणुवत्तित [परछन्दानुवर्तिक] ठा० ७।१३७ ...१४१५२; १९६१८ परच्छंदाणुवत्तिय [परच्छंदानुवत्तिक] ठा० ४।६६२. परकिरियासत्तिक्कय [परक्रियासप्तकक] आ० चू० भ० २५॥५६७ १३ अ० परज्झ [दे०] पराधीन, ठा० १०।१०८. भ० ७।१६२ . परक्कंत [पराक्रान्त] सू० ११३७५; ११८।२३, २४ परज्झमाण [दे०, अपराध्यमान] नाया० ११२।४५,६७ परक्कम [पराक्रम] आ० चू० ११५०, ५२, ५३, ६१; परट्ट [परार्थ] आ० ६।४६ ३।६, ७, ४१, ४३. सू०१।१४।५; २।१।६६,२।२।५०. परतत्ति [परतप्ति] पण्हा० २०१३ ठा० ११४४; ३७०,७१, ३६४, ४६५; ४।११, २१, परतित्थिय [परतीथिक] सू० १।६।१ ३३,४४,५४, २०३,२२०; ५७० ; ६।५. भ० १।१४६, परतो [परतस् ] सू० १।८।६; १।१२।१६ १४६, १५०, १५३, १५४, १५७,१५८, १६१, १६२, ४।४६६ १६६, १७२, ३७८; २।६६, १३६, १३७; ३३६, परत्था [परस्तात् ] सू० ११७।४ १०४, २३०, २३६; ७।१४६ से १४६; १२।१११; परदत्तभोइ [परदत्तभोजिन् ] आ० चू०७।१ १४॥६१ से ६३, ६७, १०६, १४४; १५३५३; १७।३०; परदव्व [परद्रव्य] पण्हा० ३१८, १७; १६; ८।१ २०१२०. नाया० १।१।१८६, २०४; ११८७६,१६६; परदव्वहर [परद्रव्यहर] पण्हा० ३।३, ६ १।१३।४२; १।१६।२१,२५३,२६०,२६५,१।१८।४६; परदव्वहरणवेरमण [परद्रव्यहरणवेरमण] पण्हा० १1१६४६. उवा०११६५, २।४०४५, ५४, ३१५१, ८७,८ ४१५१,५१५१;६।२१,२३, ३६ ;७।२३, २४, २६,८७; परदार [परदार नाया० १।१८।१७. पण्हा० २।५, ६; ८।३६६।२४,१०।२४. अंत०८।१४. पण्हा०४१५ ४९ परक्कम [परा+क्रम्] -परक्कमे, आ० ८।८।१६. परदारगमण [परदारगमन] पण्हा० २।१२; ५६ --परक्कमेज्ज, आ० ८।२१. ---परक्कमज्जा, आ० परदारमेहुण[परदारमैथुन] सम० ६६ चू० ११५०.-परक्कमज्जासि, आ० २११५६ पण्हा०२।१० परक्कमंत [पराक्रममाण] आ० ६।२६, ६१; ८।११२. परद्ध [दे०] पीडित, नाया० १।१।१६०. पण्हा० ३।१७ सू० ११३।२४ परधण [परधन] पण्हा० ३।२, ४, ५, १३ परक्कमण्णु [पराक्रमज्ञ] सू० २।१।६ से १० परधणहरण [परधनहरण] पाहा० ३।३ परक्कममाण [पराक्रममाण] आ० ६।१।६; ६।४।१५. परधम्मिय [परमाधार्मिक ] सू० १।५।६; २।२७७ आ० चू० ११५१; ३।४२ परपंडित [परपण्डित] ठा०६।२८।१ परक्कमितव्व [पराक्रमितव्य] ठा० ८।१११ परपरिवाद [परपरिवाद] सू० १।१६।३ परक्कमियव्व [पराक्रमितव्य ] भ० ६।२१३,१३।११८. परपरिवाय [परपरिवाद] सू०२।१।६१; २।२।४५,५८, - नाया० १।१।१४८; १२५॥३३ ६३,७१; २।४।३. ठा० १११०५, १२३, २०४०७; परक्कम्म [पराक्रम्य] सू० १।४।२ ४१५६८. सम० ५२।१. भ० १।२८६, ३८४, ३८५; परग [दे०] आ० चू०१।१४३; २।६३, ६५; ७।५४.सू० २।२।४, ६ १.परगणसत्क। ४६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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