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________________ पमाणकाल आगम शब्दकोश पम्हल ३७ १३४।१,१५६ ; ७।२४,११६,१२०; ८।८८से६१; ६७, पमुइत [प्रमुदित] पण्हा० ४१७ ५५; ११।१३४,१४६;१३।१०२,१५२१०१,१६।१२१; पमुइय [प्रमुदित] भ० ११।१५१. नाया० ११११७८; १८।४०; २०।१२; २५१५६७.नाया०१।१।१६, १७, १।५।२; ११८।२८, ३४. विवा० ११३।५२ १५६,१६७; ११२।८; ११३१५,१६, २६:१२२८,६०; पमंच प्र+मुञ्च् ]-पमुच्चइ,आ०३१३६.-पमुच्चंति, १७.६,४२, १८१८६,१११।१६.उवा०१।१३,१४, पण्हा० ७८.-पमुच्चंते,पण्हा०३।१७. -पमुच्चति, ५७; २।२८. पण्हा० ४१५,७, ८. विवा० १२।७, १० आ० ३।१५ पमाणकाल [प्रमाणकालठा०४।१३४. भ०१११११६, पमंचमाण [प्रमञ्चत ठा०८.१०. भ० ३।११३.नाया० १२०,१२५ १।१।१५६ पमाणसंवच्छर [प्रमाणसंवत्सर] ठा० ५।२१०, २१२ पमुक्क [प्रमुक्त] नाया० १११।३३ पमाणतो [प्रमाणतस् ] भ० ५।६५ पमुदित [प्रमुदित] पण्हा० ४।५ पमाणभूय [प्रमाणभूत] नाया० १।१।१६; ११५६०; पमुदिय [प्रमुदित] भ० १४।११८. अंत० ११८ ११७४६, ४२. उवा० १११३, ५७ पमुह [प्रमुख ] ठा० २।३२५. विवा० ११११७० पमाणमेत्त[प्रमाणमात्र] नाया० १।८।७४,७७ ; १।६।३६, पमेइल [प्रमेदुर] आ० चू० ४।२५ पमोक्ख [प्रमोक्ष] आ०२।१८१; ५।३६.सू० १।१०।१२; पमाणाइकत [प्रमाणातिक्रान्त] भ० ६।२२४ १।१२।११. भ० २।२७, २६, ६४; ६।२३२. नाया० पमाणाइक्कंत [प्रमाणातिक्रान्त] नाया० ११५२१०६; १११८१५०. उवा० ६।२४, २८ १।१६।२० पमोक्ख [प्र+मुंच] -पमोक्खसि, आ० ३९ पमाणातिक्कंत [प्रमाणातिक्रान्त] भ० ७।२४ पमोक्खण [प्रमोक्षण] नाया० १।२।६० पमाद [प्रमाद] सू०१।१४१६. ठा०३।३३६, ५॥१०६.भ० पमोद [प्रमोद] अंत० ६।१८ १३१४१, १४२; ८।३६६, ३७२, ३८८, ४०७,४१४; - पमोय [प्रमोद] पण्हा० ६।३. विवा० १।३।५२, ५३ २५१५५१३१. पहा० ११३१; ४११, १५ पम्माण [प्रम्लान] अणु० ३।५२ पमाद [प्र+मद्] —पमादेति,आ० ३।६८ २।२।१६. ठा० २।३४०, ४१४६) पमादेयव्व [प्रमत्तव्य] भ० १३।११८ ८७१; ६।५२।१, ५३, ५३।१, १०१११६६१. भ. पमाय [प्रमाद] आ० ११७०; २।५५, ६५; ५।१७; ३।१४८; १५।१०२. उवा० १।४, ६६. पण्हा० ४।४ ६।४।१५. सू०१।८।३; १।१४।६, १६.ठा० ६।४४,४५; पम्ह [पद्म] सम०६।१७. भ० ११६; १५॥६. नाया० १०॥६६॥१.सम० ५।४;प्र०६६. भ०३।१४२; १६।२४. १११६. पण्हा०४७ नाया०१७।४४।६; १।१०।६।१,३. पण्हा०३।२३, ६।४ पम्हकंत [पद्मकान्त] सम० ६।१७ पमाय [प्र+मद् ] -पमाए,आ० ३।५६. -पमायइ,भ० पम्हकूड [पक्ष्मकूट] ठा० २।३३६ ; ४।३१०; ५।१५०; २१५४. –पमायए, आ० २।११. -पमायंति, पण्हा० ८ ६७: १०११४५. सम० ४।१७ ५।१०।२ पम्हगंध [पद्मगन्ध ] भ० ६।१३५ पमायठाण [प्रमादस्थान] सम० ३६।१ पम्हगावती [पक्ष्मकावती] ठा० २१३४०, ८७१ पमायाचरित [प्रमादाचरित] उवा० १।३० पम्हज्झय [पद्मध्वज] सम० ६।१७ पमार [प्रमार] ठा० ५।७३, ७४ पम्हट्ट [प्रस्मृत] नाया० १।१८।४७ पमार [प्र+मारय् ] -पमारेहिति, भ० १५१७३ पम्हप्पह [पद्मप्रभ] सम०६।१७।। पमिलाय [प्र+म्लै]-पमिलायइ,भ०६।१२६.–पमि- पम्हल [पक्ष्मल] भ० ६।१६०; १११६१; १५॥१३६. लायति, ठा०३।१२५ नाया० १११।१८, २४, १२८; १।२।१४; १११६७८. ४५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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