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________________ निव्वाण आगम शब्दकोश निसिर निव्वाण [निर्वाण]आ०चू०१५॥३८.नाया० १।६।५४।५, निसंदेहत्त [निसन्देहत्व ] नाया० १।३।३५।२ ६,६; १।१५।२२।१; १।१७।३७४३. उवा० ७।४६, निसंस [नशंस] पण्हा० २११ ४७, ४६. पण्हा०६।२, ३ . निसंसइय [नृशंसक नाया० १।२।११, ३३ निव्वाणमग्ग [निर्वाणमार्ग] भ० ६।१७७. नाया० निसग्ग [ निसर्ग] पण्हा० ४।७ ११।११२, ११३. अंत० ३।७२, ७३. निसज्ज [निषद्य] पण्हा० ६१७ निव्वाय [निर्वात ] नाया० १।१।८२. विवा० १।२।४६ निव्वाविय [ निर्वापित] नाया० १।१।३३, १०६. अंत० निसढ | निषध नाया० १।८।२; १११६।१८५ निसट्ठ [निसृष्ट] नाया० १।१।१६१.पण्हा० ३।१६ ३१६८ निसण्ण [ निषण्ण ] नाया० १।११५२,२०६; १।१४१८२; निव्वाहित्तए [निर्वाहयितुम् ] नाया० १।१८।४६ . . १।१६।२१, ७१; २।१।११. पण्हा० ६२२० निविण्ण[ निविण्ण] नाया०१।४।१२,१५, २०; १।८७६; निसमित्ता [ निशम्य] विवा० १।८।२३ शह।४५:१।१३।३१,१११८१५१,१।१६।३२,२।१।१८. HTR२० वा० ११२३.अंत० विवा० ११११५७; १८।२५ निविवतिगिछ [निविचिकित्स] नाया० १।३।२५,३४; १।१६. अणु० ३।१३. विवा० ११११२ १।५।४७ निसह [निषध] सम० ७।४; ६३।३; ७४१२; ६४।१;प्र० निवितिगिच्छ [ निविचिकित्स] उवा० ११५५, ५६ - १७, १८,४६, ५३, ६४. पण्हा० ४१५ निव्वितिय [ निर्विकृतिक] पण्हा० ६।६ . निसहकड [निषधकूट] प्र० ४६ निम्विन्नचारि [निविण्णचारिन् ] आ० ५१५४ निसापाहाण [निशापाषाण] उवा० २।२१ निविसय [निविषय] नाया०१।८।१०६ से १०६,१३० निसाम [नि+-शम्]-निसामंति, सम०३४।१.-निसासे १३३; १।१६।२८०,२८६, २६२,२६३,२६५,२६७, __मिति, आ० चू० १५॥३२।१६. -निमामेइ, नाया० २६६. पण्हा० ३।१७ १।१६।७०. उवा० ११७२. -निसामें ति. नाया० निविसेस [निविशेष] पण्हा० १०।११ १।१६।३२२. विवा० १।८।२३. -निसामे मि, उवा० निव्वुइ [निर्वृति] नाया ० १।४।२३।१. पहा० २।१७; ११७६. -निसामेह, पाहा० १११३ निसामित्तए [निशमितुम् ] नाया० १।५।७७ निव्वुइकर [निर्वृतिकर] नाया० १।१७।३६।६, १५. निसामिया [ निशम्य] आ० ८।३१ पण्हा० १०१८ निसामेत्तए [निशमितुम्] उवा० ७।२८ निव्वुइयर [नि ति कर] नाया० १।१।१८ निसामेत्ता [निशम्य ] नाया० १।१६७० निव्वुति [निर्वृत्ति] पण्हा ० ३।२४; ६।१ निसामेमाण [निशाम्यत् ] नाया० १।१६।२७२ निन्वय [निर्वृत्त] पण्हा०४।५ निसालोढ' [निशालोष्ट] उवा० २।२१ निव्वोल दे. निव्वोलेमि, नाया० १।८।७४ - निसिज्जा [निषद्या] सम० १८।३।१ निसंत [निशान्त] नाया०१।१।१०२ से १०४; १।४७; निसिट्ठ [निसृष्ट] आ०चू०१।५७.भ० १।३७१ ; ८।२८० ; ११८६११८।१७३; १११२।१६,३६, ४४;१।१४।५०; १२।६७; १५।११२ .. १११६।१०४,३११; १।१८।३६;१।१६।१३; २।१।२५. निसिय [नि+सादय]-निसियाति, विवा० १।३।१४ उवा० ११४५; ७।३१. अंत० ३।६४ से ६६ निसियावेत्ता [निषाद्य] विवा० १।३।१४ निसंतपुव्व [निशान्तपूर्व] नाया० १।१३।३५ निसिर [नि सृज्] -निसि रइ, भ० १।३६६. नाया० १. क्रोध से होंठ को मलिन करना। हे०, ४।६६। . १. लोढ इति देशी पदं विद्यते। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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