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________________ निरवकंख आगम शब्दकोश निवण्ण १।३।४० ५८१; ७४१४; ८४११; प्र० १४१ निरुवलेव [निरुपलेप] सम० ३४।१. नाया० १।५।३५. निरवकंख [निरवकाङ्क्ष] नाया० १।५।३७. अंत० पहा० ४७; ६।१; १०।११ ६॥५२. पण्हा० १०.११ । निरुवसग्ग [निरुपसर्ग] नाया० १।८।८०. उवा०२।४१. निरवच्च [निरपत्य] सम० प्र० २१५ __ अंत०६।४५ निरवयक्ख [निरवकाङ्क्ष ] नाया० १।६।४४।१, २. निरुवय [निरुपहत] नाया० १।१।१५६, १६७, १८९; पहा०१२, ४० ; ३।८ १॥३॥५, १६; ११५७२; ११६१४. पहा० ४।५, निरवलंब [निरवलम्ब] पण्हा० ३७ निरवलाव [निरपलाप] सम० ३२।१।१ निरुश्विग्ग [निरुद्विग्न ] नाया० १।१।१५८; १।४।४; निरवसेस [निरवशेष] सम०प्र० १६१.नाया०१।१।४६. १८१०७, १३१; १।१७।१५, २४.विवा० १।२।२०; ___ अंत० ११२३ निरस्साय [निरास्वाद] नाया०१।१।११२,११३. अंत० । निरूह [निरूह ] नाया० १।१३।३०. विवा० १।११५५ ३७२,७३ निरोदरी [निरुदरा] पण्हा० ४।८ निराकरेत्ता [निराकृत्य] पण्हा०१०।१ निरोह [निरोध ] भ० २५१५७४, ५७६, ५७७. नाया। निराणंद [निरानन्द] नाया० १।१।३४ १।२।३३. पण्हा० ३।१२ निरातंक [निरातङ्क] पण्हा० ४।७ निरोहण [निरोधन] पण्हा० १।३० निरामय [निरामय] सम० ३४।१ निल' [अनिल] नाया० १।६।२०।६ निरायास [निरायास] पण्हा० ६।१ निलय [निलय] नाया० १।१६।२६. पण्हा० ६।१; निरालंब [निरालम्ब] पाहा० १०।११ १०।११ निरालंबण [निरालम्बन नाया० ११५॥३५; १।६।५ । निलाड [ललाट] नाया० १।१६।२८०. पण्हा० ३।५. निरालंबणया [निरालंबनता] आ०५।१११ विवा० ११६।२३ निरावयक्ख [निरपेक्ष] नाया० १।१।१०६, १०७; निलुक्क [नी-ली] -निलुक्कंति, अंत० ६।२२ १६।४४।१. अंत० ३।६८, ६६ . निल्लंछण [निर्लाञ्छन ] पण्हा० २।१२ निरावरण [निरावरण] आ० चू० १५॥१. नाया० निल्लंछणकम्म [निर्लाञ्छनकर्मन्] उवा० १॥३८ शपा२२५. अत० ३।६२, १०१ निल्लज्ज [निर्लज्ज] पण्हा० २।११; ७।२ निरास [निराश] पण्हा० ३।१७, २४ निल्लालिय [निर्लालित] नाया०१।१।१५६; ११८७२. निरासव [निरास्रव] पण्हा० ८।१ ___उवा० २।२२ निरिक्ख [निर् + ईक्ष्]-निरिक्खइ, नाया० १।८।५८. निल्लुक्क [दे० ] नाया० १।८।२२१ ____अंत० ३।४२ निवइय [निपतित ] नाया० ११७।१०, १२, १७, १६ निरिक्खमाण निरीक्षमाण] नाया० १०५।६७ निवज्ज [नि+पद् ] -निवज्जइ, नाया० १।१६।५५ निरिक्खित्ता [निरीक्ष्य ] अंत० ३।४२ निवट्टमाण [निवर्तमान] सम० ६३।३ निरंभण [निरोधन] पण्हा० १।२७ निवड [नि-पत्] -निवडइ, नाया० १।९।५४१८ निरुच्चार [निरुच्चार] नाया० १८१६७, १७२. निवडिय [ निपतित ] अंत० ६।४४ पण्हा० ३।१३ निवड्डमाण [निवर्धमान] सम० २७।६ निरुत्त [निरुक्त] पण्हा० ८।१ निवण्ण [निवर्ण ] नाया० १।८।३० निरुद्ध [निरुद्ध] अंत० ३।८८ निरुवट्ठाण [निरुपस्थान] आ० ५।१०७ १. प्राकृतत्वात् अकारलोपः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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