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________________ अकोविय अंग सुत्ताणि शब्दसूची अक्खायु ११३१३, ४४.१११२।२ १०॥५१११।१०८।१८।२१६, २२०. नाया० ११५॥ अकोविय [अकोपित ] सू ० १।८।१३ ७६. अणु० ३७५ अकोसायंत [अकोशायमान] पण्हा० ४८ अक्खय [अक्षत] नाया० १।१७; २।१।१६ अकोह [अक्रोध] सू० २।१।६०; २।२।४४, ६४; २। अक्खयकर [अक्षतकर पण्हा० ६१ ४।२४. नाया० ११५१३५ अक्खयणिहि [अक्षयनिधि] नाया० १।२।१२, १४, अकोहत्त [अक्रोधत्व भ० ११४१८ २४ अकोहण [अक्रोधन] सू० १।१०।१२ अक्खयनिहि [अक्षयनिधि] विवा० १।७।१६, २१ अक्कंत [आक्रान्त ] आ० चू० १।३५, ठा० ५।१८३. अक्खर [अक्षर] ठा० २।२१३. सम० प्र० ८६ से ६६, भ० १६।३५. नाया० १।१३।४१ अक्कंदकारि [आक्रन्दकारिन् ] आ० ६।२६ अक्खर पुट्टिया [अक्षर पुष्टिका] सम० १८५ अक्कबोंद [दे०] भ० २२१६ अक्खसुत्तमाला [अक्षसूत्रमाला] अणु० ३।५२ अक्कम [आ+ क्रम्] -अक्कमइ, नाया०१।१६।२४४ अक्खा [आख्या ] पण्हा० ६७ -अक्कमिज्जा, भ० १४।३६.-अक्कमेज्जा, भ. अक्खा [आ+ ख्या]-अक्खंति, सू० १।१२।६. १४१३६ -अक्खाइ, आ० ६।२. आ० चू० २।४४.-अक्खाति, अक्कमित्ता [आक्रम्य] भ० १४॥३८. नाया० १।१६। सू० १११११२४ २४३. पण्हा० १।२६ अक्खाइ [आख्यायिन् ] आ० चू० २।४४ अक्कम्म [आक्रम्य] सम० ३०।१।१ अक्खाइ [आख्यातम] भ० २।२७। अक्किज्ज [अक्रेय] ठा० ६।२२।१३ अक्खाइयट्ठाण [आख्यायिकास्थान] आ० चू० अक्कुट्ट [आक्रुष्ट] आ० ६।४१ ११।१४. १२।११ अक्कोस [आक्रोश] सू० १।३।५७. सम० २२।१. भ० अक्खाइया [आख्यायिका] ठा० १०६०।१. सम० ८।३१६. पण्हा० १०।१४। अक्कोस [आ+ क्रुश् ] आ० चू०, २२–अक्कोसंति, अक्खाडग [अक्षवाटक] ठा० ३।३६७; ४।३३६ ; ८। नाया० १।१६।२८. अंत० ६१५५.-अक्कोसतु, आ० ४३. भ० ६।६० चू०२।२२.-अक्कोसति, ठा० ५१७३. -अक्कोसेज्ज, अक्खात [आख्यात] सू० १।२।५७. ठा० ३।१८३; आ० ० ३९ ४१५७३ अक्कोसणा [आक्रोशना] नाया० १।१६।२८ अक्खातपव्वज्जा [आख्यातप्रव्रज्या] ठा० ३।१८३. अक्ख [अक्ष] सू० १।२।४५; १७।३०; २।१।६६; २। ४१५७३ २।५०. सम०६६।७. भ० ७।२५, ११६. पण्हा० ६।२० अक्खाय [आख्यात ] आ० १।१; ६।८; ६।१।१६. अक्ख [आख्य] नाया० ११७१४४१८ आ० चू० ११२६४१८,७१५७. सू० ११११५१, ११४ अक्खइय [अक्षितिक] पण्हा० २।१० ५०,१ १,११११११, १।१५।२, ३, २।१।१,५५; अक्खचम्म [अक्षचर्मन् ] नाया० १।८७२ २।२।१, २, ३६, ७६; २।३।१ से १००; २।४।१, ५, अक्खत [अक्षत] पण्हा० ३६ १६, २०, २५. ठा० १११. सम० १११,१११६. ८४| अक्खममाण [अक्षममान ] ठा० ४।४५१ १८; ८८२; प्र० ६४, १०६ से १११, १४१, १५०, अक्खय [अक्षय] सू० १।६।८; २।५।३०; २।६।४७.. २६१. भ० २।३७, ३८; १२।८१, १५२१०१,१५६, ठा० ५।१७० से १७४. सम० १२. प्र० ६५, १३३. १५७. पण्हा० ७.१४. विवा० ११११३३, ३४ भ० ११७; २।४५ से ४७, १२५ से १२६; ६।२३३. अक्खायु [आख्यातृ ] सू० १।१।७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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