SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किणण अंगसुत्ताणि शब्दसूची किरण किणण [क्रयण] पण्हा० १०८ १२८; १।१६।२८, २४३, २४४, २६६, २८०. उवा० किणा [कथम् ] भ० २१७८ २।२२, २८, ३४; ३।२१; ४।२१; ५।२१; ७।५७; किणावेमाण [क्रापयत् सू० २।१।२८ ८.४१, ४६. अंत० ३।८६, १०२, ११०. पण्हा० २।६; किष्णं [किंनम्] भ०६।१५८. नाया० १११।६६. अंत० ६।३; ७।१६; ६३ ३।२६. अणु० ३।११. विवा० १।१।१६ कित्तित [कीत्तित] ठा० ५।३४ से ४३ किण्णपुड [किण्वपुट] उवा० २।२१ कित्तिपुरिस [कीर्तिपुरुष] ठा० ६।२०।१. सम०प्र० किण्णर [ किन्नर] सू० २।२।७२; २।७।४. ठा० २।२१०, २४३।२, २४६।२. पण्हा० ४१५ ३६७, ४।१६७; ५।५७;७।११३ ; ८।११६, ११७।२. कित्तिम [कृत्रिम ] सू० २।१।२६ नाया० ११५४७; १।१६।२०७, २१२, २१३, २२३. कित्तिय [कीर्तित ] ठा० २।४११, ४१३, ४१४ उवा० १।३१,५५, ५६; २।४०, ४५ कित्तिया [कृत्तिका] ठा० २।३२३; ४।३३२; ७।१४७ किणरिद [ किन्नेन्द्र ] ठा० २।३६७ ; ४।१६७ कित्तिया [कीतिका नाया० १।१६।१६३ किण्णरी [किन्नरी] पण्हा० ४।११ कित्तीपुरिस [कीर्तिपुरुष] सम०प्र० २५७।२ किण्णा [कथम् ] नाया० १।१३।६. उवा० ६।२१. विवा० किन्नर[किन्नर सम० ३४।१. भ० २।६४; ३।२७५।२; २।१।१५ ८।१०३, १०८६; ११।१३८; १४।११२; १८१६२. ० ५।१२८. सू० २।१।१६, ५२; नाया०१।१।२५, ८६, १२६; १८७५, ७८, ७६, २।२।३६; २१७।६. ठा० १७१, ३।१३७; ५६३, १३५. पण्हा० ४।३, ४, ५।३ २३, २६ से ३०, २२५, २२८. भ०६।८५, १०३; काब्बस| किल्बिष | सू० २।३७६ से ८१. भ०१२।१०५ १२।१२३; १३।१६३ ; १५।८७,८८, १४४; १६९५. पण्हा० २।२ नाया० १।२।६, १३, १४७।१३।१।१३:१११११२; किब्बिासय [किल्बिषिक] सू० १२१७५; २।२।१४, १।१३।१६, २०, १११११, १२, १।१७।२२. अंत० १८, ५६; २१७।२५. ठा० ३।४६६. सम० ५२।१. भ० ६।१३. पण्हा० ४१७, ८ १।१०३ किण्हच्छाय [कृष्णच्छाय] नाया० ११७।१३ किमंग [किमङ्ग] भ० ८।२४२. उवा० १।२०. अंत० किण्हपक्खिय [कृष्णपाक्षिक] भ० १३।३६ किण्हमिगाईणग [कृष्णमृगाजिनक] आ० चू० ५।१५ किमि [कृमि] सू० १।५।२०. ठा० ४।२८४. नाया० किण्हलेसा [कृष्णलेश्या] सम० प्र० १७४ १८।४२; १।१२।३. विवा० १।१।३६; १७७ किण्हा [कृष्णा ] ठा० ५।२३२; १०।२६. भ० २३।८ किमिच्छिय [किमिष्ट] नाया० १।८।२००, २००।१ कितिकम्म [कृतिकर्मन् ] ठा० ५।४८, १६७; ७।६, ७. किमिण [कृमिमत्] नाया० १।१२।३. पण्हा० ३।१६; सम० १२।२।२; १२।३।१ १०।१५ कित्त[कोर्तय]-कित्तंति, भ०१३।६८.--कित्तइस्सामि, किमिय [कृमिक ] नाया० १११११५६. पण्हा० ११३४. सम० प्र० २४२।२. –कित्तेइ, उवा० १।६२ विवा० ११७७; ११८।८, २५ कित्तण [कीर्तन] नाया० १।१६।१६३. उवा० ७।४०, किमिराय [कृमिराग] पण्हा०६।२ ५०. पहा० ५।३ किमिरासि [कृमिराशि] भ० २३।८ कित्ति [कोत्ति] सू० १।६।२२. ठा० २।२८६ ; ३।३४०, कियच्चिरेण [कियच्चिरेण] अंत० ६।१४ ४५६ ; ६।८८, ८।६।६।५७।१; १०।१०३. सम०प्र० किर [किल] भ० ६।१३४।१ २४१. भ० ११।१३४, १५६; १४।६१; १५५६६; किरण [किरण] भ० ११।१३३. नाया० १।१।१८; १६।६१. नाया० १११।२०; ११५१२२; ११८७४, १।१६।२५८. पहा०४।५,८ २२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy