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________________ ओहीदसणावरण अंगसुत्ताणि शब्दसूची कंचुइज्ज ३०।२८, २६, ३४, ४३, ४४ ; ३१।६, १२, २३,२६, ओहोदसणावरण [अवधिदर्शनावरण] सम० १७।१० २९, ३१;३३।२२, २३, ३६,३७, ४०, ४३,५३, ५६; ओहीनाणि [अवधिज्ञानिन् ] भ० ८.१७५ ३४१४५, ५६, ५७, ६१, ६२, ६४, ६५; ३५१४४, ओहीपद [अवधिपद] भ०१६।१४३ ५१, ५७; ३६।१०; ४०।२५, ३०, ३४, ३६, ४२, ओहीरमाण [निद्रायमाण] भ० ११११३३. नाया० ४५; ४११४२,५२, ५४, ६१ १।१।१८. अंत० १११७, ३।११६. विवा० २।११२५ क क [किम् ] आ० १।२. ठा० ३।८७. सम० ३३।१. भ० ५२।१. भ० १२।१०६. उवा० १।३१. पहा० ११३४. नाया० ११११७. अंत०१॥३. अणु०१११. ३।२; १०१ पण्हा० ११४. विवा० १३११४ कंखापदोस [काङ्क्षाप्रदोष] भ० १।४१६ कह [कति ठा०७।४३१३. सम०प्र०१५८, १७४,१८४. कंखामोहणिज्ज [काउक्षामोहनीय] भ० १११८, नाया० १।१६. अंत० ११५. अणु०१।३ १२०, १२३, १२६, १३०, १४०, १४१, १६३ से कइय [क्रयिक] भ० ५।१२६, १३२ १६५, १६६, १७० कइवय [कतिपय] नाया० ११८७०; १।१२।४० कंखित [काङ्क्षित] ठा० ३१५२३; ४।४५०. भ. कइविह[कतिविध] सम० प्र० १५६, १६२, १६४,१६७, १११३०, १७०, ३५४, ३५६; २।२७, २६ ; ६।२३२; १७२, १७६, १७७, १८६, १६६, २०६. भ० १।१६, १०।४६; १११८४, १६४; १५१८५ २०, २२, १०३; ३।१३५, १३६, २७६; ५।२५८; कंखिय [काङ्क्षित] नाया० १।३।२१, २४; १।८।१४५. १२१८२; १६।१०८; २५१५५१; ३३१५६; ३४।१, ___उवा ० १।७६, ८० ; ६।२४, २८ ४२, ५०, ५५, ६१ से ६३ कंग [कङ्ग] सू० २।२।६. ठा० ७।६०. भ० ६।१३१; कउह [ककुद] नाया० १६।२०।३; १।१७।३६।१, ११ २१११६ कओ [कुतस् ] आ० ४।८, ४६. आ० चू० ३१५१. सू० कंचण[काञ्चन] सू०१।६।१२.ठा०७।१५०।१; ८।६५।१, श२।८; ११३७० से ७२. भ० ११२६५; ३१६. ६६।१. भ० ६।१४१,१६६. नाया०११११८६, १०६; नाया० १।६।२५ १।३।१०; ११५॥३७. उवा० ११४७; २।२८, ७।३३. कंक [कङ्क] सू० ११११६२; १।११।२७, २८. भ. अंत० ३१६८; ६१५२. पण्हा०४।८; ८।२; १०।११ ___७१२३; १२।१६१. पण्हा० १।२६; ४७ कंचणक [काञ्चनक] पण्हा० ५।३ कंकडइय [दे०] पण्हा० ३।५ कंचणकूड [काञ्चनकूट] सम० ७।२० कंकण [कङ्कण] भ० ११।१५८ कंचणगपव्वय [काञ्चनकपर्वत] सम० ५०७; १००।८ कंकोवम [कङ्कोपम] ठा० ४१५११ कंचणपन्वय [काञ्चनपर्वत] सम०प्र० ६. भ०१४।१२० कंख [काङ्क्ष ] --कंखइ, सू० ११७।३०. नाया० कंचणा[काञ्चना] पण्हा० ४।११ १।१६।२१६. -कंखंति, स० ११५।६. -कंखेज्ज, कंचणिया | काञ्चनिका] भ० २।३१; १३।१०६ आ० ६।११३. सू० १।५।५२. ---कंखेज्जा, आ० चू० कंचि [किञ्चित् आ० चू० ११६३. पण्हा० ८।६ ३।४६ ___ कंची [काञ्ची] पण्हा० १०।१४ । कंखपओस [काङ्क्षाप्रदोष] भ० १।२।१ कंचुइ [कञ्चुकिन् ] भ०६।१५८ से १६०; ११।१६५ कंखा [काङ्क्षा] आ० ५।६२. सू० १।१५।१४. सम० कंचुइज्ज [कञ्जुकीय] भ० ६।१४४, १४६ ; ११।१५६, १६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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