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________________ उवदिसंत आगम शब्दकोश उवरिचर -उवदिसंति, नाया० १।५।११५. पण्हा० २।१३।। भ० ७।३५ उवदिसंत [उपदिशत् ] पण्हा० २।१३ उवभोगपरिभोगातिरित्त [उपभोगपरिभोगातिउवद्दव [उपद्रव] भ० ६।१७०. नाया० १।१।१०७. रिक्त] उवा० १।३६ अंत० ३।६६. पण्हा० १।३; ३।२४ उवमा [उपमा] आ० ५।१३७. सू० १।१४।११; २।६।१६. उवद्दविज्जमाण [उपद्रूयमाण] सू० २।४।२१ ठा० २।४०५।२; १०।११६. सम०प्र० २३०१२. भ० उवाणवीरिय [उपधानवीर्य ] सू० १।११।३५ ६।१७०. नाया० १।१।१०७; १।२।१२. उवा०२।२१. उवधारणया [उपधारणता] ठा० ८।१११ अंत०३।४३, ६६. पहा० ३७, २१. विवा० ११७।१६ उवधा ०२१७१३४. भ.११४२६ त] भ०१५।८३, ६७ उवधि [उपधि] ठा० ३।६४ उवया [उप-या] -उवयंति, सू० १।४।२७. उवनच्चिज्जमाण [उपनत्यमान] भ० ६।१५६. -उवयाइ, सू० १।४।२७ नाया००१६।१५०, १५२ उवयाइत [औपयाचितक] ठा० १०।१३७ उवनिमंत [उप+ नि । मन्त्रय] - उवनिमंतिस्सामि, उवयार [उपचार] भ० ६।१०३, १७३,१६५ से १९८; उवा०७।११. --उवनिमंतेइ, भ० १२१६. नाया० १११११२, १३३, १३६ से १३८, १५८; १२।१२८. . १५११४८. विवा० १।६।४१. –उवानि मंतेज्जा, भ. नाया० १११।१७, १८, २२, २४, २५, ३३, ७६, ८।२४८. -उवनिमंतेजाहि, उवा० ७.१०. १३४ से १३७; ११२।८; ११३१८, ६; १११६।१५५. -उवनिमंतेमि, उवा० ७.५१ पण्हा० ७१३. विवा० १।२।७ उवनिमंतित्तए [उपनिमन्त्रयितुम् ] उवा० ७।१८ उवयालि [उपजालि] अंत० ४१२, ६; ५॥११. अणु० उवनिमंतेत्ता [उपनिमन्त्र्य] भ० १२६. विवा० १४ उवयोग [उपयोग] भ० १३।५६; १८।२२० उवनिहिय [औपनिधिक] पण्हा ० ६।६ उवयोगलवखण [ उपयोगलक्षण] भ० १३।५६ उवप्पयाण [उपप्रदान ] नाया० १।१।१६; १।८।४५; उवरइ [उपरति] सम० २५॥१ १।१४।४. विवा० १।३।५०; १।४।६; १।६।३ उवरत [उपरत] आ० ३।१६. सू० २।१७०; उवप्पलोभ [उप+प्र+लोभय] -उवप्पलोभेति, २।२२५४ __ नाया० १।१६।७४ उवरम [उपरम] भ० १।३६३ उवप्पलोभत्ता [उपप्रलोभ्य ] नाया० १।१६।७४ उवरम [उप+रम् ] - उवरमइ, भ० ११३६३. नाया० उवबू हण [उहबृहण] पण्हा० ६।२१ १।१८।११ उवभुंज[उप+भुज्] -उवभुंजइ, नाया० १७।४४।६ उवरय [उपरत] आ० १।६२; ३।३, ८, ४१, ७२,८५; उवभुत्त [उपभुक्त] नाया० १७।४४१५ ४।३,४७,५२,५।२०,६०।६।५०. आ० चू०१११२१, उवभोग [उपभोग] भ० ८।१३६, १४४. उवा० १।२६. २।२५, ३८; १६।६. सम० २७।५. भ० ८।४५०. पण्हा० ३।२४ नाया० १११।१८४।१८५ उवभोगंतराय [उपभोगान्तराय] सम० १७।१०; उवरयभत्तुया [उपरतभर्तृका] नाया० १।६।१० ३१।१. भ० ८।४३३ उवराग [उपराग] पण्हा० २।१३ उवभोगत्ता [उपभोगत्व ] ठा० ७।६५; १०।१४२. उवरि [उपरि] नाया० १।८।१४१ सम० १०८ उवरिउवरि [उपर्युपरि] नाया० ११।३३ उवभोगपरिभोग [ उपभोगपरिभोग] उवा० १।३८ उरि [उपरि] ठा० ४।३१८. सम० ३५१५. भ०२।११८ उवभोगपरिभोगपरिमाण[उवभोगपरिभोगपरिमाण] उवरिचर [उपरिचर] पण्हा० ५।३ १।६।४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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