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________________ . उक्कोस अंगसुत्ताणि शब्दसूची उग्गच्छ ४३०, ४३२, ४३४, ४४६ से ४५०, ४७१, ४७२, उक्खित्तचरग [उत्क्षिप्तचरक] सू० २।२।६६ ४८४,४८५, ५०६, ५०८, ५०६, ५२४, ५२५, ५२७ उक्खित्तचरय [उत्क्षिप्तचरक] ठा० ५।३६. भ० से ५३०,५३२, ५३३, ५३५ से ५३७, ५४०, ५४१, २५१५६६. पण्हा० ६६ ५४८, ५४६ ; ३५।११, २२, ४६ ; ३६।१, २, ३७।१; उक्खित्तणाय [उत्क्षिप्तज्ञात] सम० १९।१।१. नाया० ३८।१; ३६।१; ४०।३, १०, १७, १६, २१, २३, ११० १०; १११।१०।१; १।१।११ ४५; ४११५ उक्खित्तनिक्खित्तचरग [उत्क्षिप्तनिक्षिप्तचरक] सू० उक्कोस [उत्क्रोश] पण्हा० १६ २।२।६६ उक्कोस [उत्कृष्ट] नाया० १।१६।३१; १।१६।४१. उक्खित्तणि क्खित्तचरय [उत्क्षिप्तनिक्षिप्तचरक] विवा० ११११५७, ७०; १।२।४२; १।३।२२, ६५; भ० २५१५६६ १।४।१७; १।५।१६, २६ ; १।६।२४, ३७; १।७।१७; उक्खित्तपसिणवागरण [उत्क्षिप्तप्रश्नव्याकरण] भ० १।६।२६; १११०१८ १६।५४, ५५ उक्कोसंत [उत्क्रोशत् ] पण्हा १।२६ उक्खित्तय [उत्क्षिप्तक] ठा० ४।६३४ उक्कोसग [उत्कर्षक] भ० २५॥३६२, ४६६. पण्हा० । उक्खिप्प [उत्क्षिप्य] आ० चू० ३।६ २११३ उक्कोसय [उत्कर्षक] भ० ५।६, ७; ११।१२२, । उक्खिप्पमाण [उत्क्षिपत्] आ० चू० १।४६. भ० ८।२५५. पण्हा० ४।५।। १२३ ; १३३६७२५॥३, ७ उक्खिव [उत्+क्षिप्] -उक्खिवइ, भ० १६१७ उक्कोसिया [उत्कर्षिका] ठा० ३।५३४; ४।६४७, उक्खिव्वमाण [उत्क्षिपत्] भ० १६१७ ६४८; ८।११३,११५. सम० १४।४; १६।४।१८।२ ३८।१; ६८७; ८६।४; प्र० २०, ३४, ४५, ४७, उक्खु [इक्षु] भ० २१।१८ उक्खवाडिया [इक्षवाटिका] भ० २१।१८ ७८. भ० १।२१६, २१८, २४६; ५।११, १२; ८।३६५, ४५२ से ४६०; ११११२० से १२३: उक्खव [उत्क्षप] ठा० ७।४८१४. नाया० १।१६।११२. १६।२४; २४१७६. नाया० १।८।२३२ ___ अंत० ३।६३ । उक्खण [ उत-खन] –उक्खणाहि, पण्हा० १।२७ उक्खवग | उत्क्षक पण्हा० १०।१८ उक्खणण |उत्खनन] सू० २।११५६; २।२।४०; उक्खेवय | उत्क्षेपक] भ० ६।१६६. नाया० शश१०६. २।४।२१. पहा० ११३५ अंत० ३६८. विवा० २।२।१; २।३।१; २।४।१; उक्खय [उत्खात] नाया० ११७।१०, १२ २०११; २।६।१; २।७।१; २।८।१; २।६।१; उक्खल [उदूखल] सू० १।४।४३. पण्हा० ११८ २।१०।१ उक्खलुंपिय [दे०] आ० चू० ११६२ उगिज्झिय [अवगृह्य] आ० चू० ७।५, ७ उक्खा [ऊखा] आ० चू० १।२१, २४ उग्ग [उग्र] सू० १।१३।१०; २।१।१४, २४, ३३, ४०. उक्खाय [उत्खात] नाया० ११७१७ ठा० ३।३४; ६।३५. सम० प्र० २२७४२. भ०२।३०; उक्खिण्ण [उत्कीर्ण] पण्हा० ३११६ ६।१५८, १५६, २०४; १०।४८; ११३१६५; उक्खित [उक्षित] सू० २।२।३१. भ० ६।१६२ १५६३; २०१७६. नाया० ११११९५ से ६७; ११५, उक्खित्त [उत्क्षिप्त] आ० चू० २।४४; १५।२८।१२. ४५; १।८।२३६।१; १११६।३२. उवा० ७।३७. अणु० सम०प्र०२२४।५. भ० ८।२५५. नाया० १।१।१८०%, ३।११, १२. विवा० ११११६, २० १।३।३२; १।८।२१४।१; १।६।४३; १।१७।३६।८. उग्गकुल [उग्र कुल] आ० चू० ११२३ विवा० १२।१४; ११३।१३; ११४।१२; १६६ उग्गच्छ[ उद्गत्य] भ० ५।३ १४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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