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________________ आभरणविहि अंगसुत्ताणि शब्दसूची आमंत आभरणविहि [आभरणविधि] ठा० ६।२२।४. सम० १३।३; १८।१५, ३१; २४।३१०; २६।८, १७, ७२।७. नाया० ११११८५ १६; ३०१२०. पण्हा०६।६ आभा [आभा] सू० २।२।६०. सम० प्र० १४१, १४३, आभिनिबोहियनाग [अभिनिबोधिकज्ञान] भ. १५०. भ० ६।८४, १०१, १०६, १४४, १५०; ११२३५, २५१, २११३७, ६।६३; ८६७,६८, १०१, १२।१२३; १५१८६; १६६१. नाया० १।१२।१६. १४०, १४३, १५०, १७३, १७५, १८४, २०८, २१२, पोहा० ४।४ २१४; १२।११७; १३१५६; १७।३०, १६।६७; आभागि [आ भागिन् ] सू० २।२।४,७८, ७६. नाया० । २०१२०, ५६; २५।१३५, १३६, ३१२, ३१३, ५८३, १।३।२४; १।१४।१८; १।१८।५१ से ५३, ५६ ।। ५८६; २६।२७, ५५; ३०।३४ । आभासिय [भाषिक] ठा० ४।३२१. पहा० १।२१ आभियोग [आभियोग] भ० ३।२५७; १८।३८ आभासियदीव [आभाषिकद्वीप] ठा० ४।३२१ आभियोग [अभियोग्य ] पण्हा० २।१२ आभिओग [आभियोग] ठा० ४।५६६, १०।१५७. भ० आभियोगिय [अभियोगिक ] भ० ३।२१६ १६।३३ आभिसेक्क [आभिक्य] भ० १३।१०६, ११०. आभिओग [आभियोग्य] पण्हा० ७।२१ ।। ___ नाया० १।१६।१३६, २४७, २४८. अंत० ५।१६ आभिओगत्ता आभियोगता] ठा० ४१५६८ आभिसेय [आभिषेक] अंत० ३।१०७ ; ५।१६ आभिओगि [आभियोगिन् ] नाया० १।१६।१८५ आभोएत्ता [आभोग्य ] भ० ३।३८. नाया० १।८।७६ आभिओगित्ता [आभियोग्यत्व] विवा० ११२१७२ आभोएताज्ञात्वा] उवा० ८।४१ आभिओगिय [आभियोगिक] नाया० १।८।२०७, आभोएमाण [आभोगयत् ] भ० १६॥३३. नाया० २११; १।१४।४३; १।१६।६७; २।१।१२. भ० १।२।११, २८; १।८।३६; १।१३।३; २।१।१० ११११३; १४।२२, २५. विवा० १२।७२, आभोग [आभोग] ठा०५।१८६. भ० २५.२८० १११०१७ आभोगणा [आभोग] सम० प्र० १७४।१ आभिद [आ+ भिद्]--अब्भे, आ० ११२८ आभोगणिव्वत्तित [आभोगनिर्वतित] ठा० ४८८ आभिणिबोहियणाण [आभिनिबोधिकज्ञान] ठा० से ६१ २।४७, ५८, ६९, १००, १०१, ४०४; ३।१६८, आभोगनिवत्तियाउय [आभोगनिर्वतितायुष्क] भ० १७५; ५२२१८; ६९८. सम०२८।३; ६६१४ ७।१०६ आपिणिबोहिय [आभिनिबोधिक ] भ० ६१२२, ३२ आभोय [आभोग] विवा० १।१।४६ आभिणिबोहियणाणावरण [आभिनिबोधिक- आभोय आ भोगय ] -आभोएइ, भ० ३।१०६ ज्ञानावरण] सम० १७:१०; ३१।१ नाया० १।८।१६४. उवा० ८।४१. -आभोएंति, भ० आभिाणबाहियणाणावराणज्ज आभिनिबाधिक- ३।३८ -आभोएमि, भ०३।११६. नाया० १८७६. ज्ञानावरणीय ] ठा० ५।२१६ -आभोएहिति, भ० १५।१८२ आभिणिबोहियणाणि [भिनिबोधिकज्ञानिन्] आम [आम] आ० चू० १।११५ से ११६. ठा० ४।१०१ ठा० ६।११; ८।१०६ पण्हा० ३।१७ आभिणिबोहियनाण [आभिनिबोधिकज्ञान] भ० आमंत [आ-+-मंत्रय) -आमतेइ, नाया० १७।६. ६।२१, २२, ३१, ३२, ३५, ५७ विवा० ११३॥३२. ---आमंतेंति, नाया० १११८१. आभिणिबोहियनाणि [आभिनिबोधिकज्ञानिन्] भ० ६।४५; ८।१०४, १०५, १०८, १५१, १५३, १६३, १६६, १८४, १६३, २००, २०५, २०७; १. सामयिकधातुप्रयोग। ११६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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