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________________ जैन आगम प्राणी कोश 83 डंक के रूप में होता है। विज्झिडियमच्छ विज्झिडियमत्स्या प्रज्ञा. 1/56 विवरण-बिच्छू की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। A Kind of Fish-मत्स्य की एक जाति, यह सूखे नेत्रों, पानी, गोबर आदि तथा पथरीले स्थानों विज्झिडियमत्स्य। देखें-झसमाग में पाया जाता है। रात्रि के समय भोजन के लिए सक्रिय विडिम [विडिम] प्रज्ञा. 2/49 Kid-बालमृग। विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में खग्ग के बाद विडिम शब्द आया है। खग्ग का अर्थ गेंडा होता है। विडिम शब्द का अर्थ बाल मृग और गेंडा है। इसलिए यहां बालमृग ही ग्रहण किया गया है। देखें-किण्हमिय (कृष्णमृग) वितत पक्खि [विततपक्षिन] सू. 2/4/81 ठाणं. 4/551 A Kind of Bird-वितत पक्षी, पक्षी-विशेष। होता है तथा दिन में अपने स्थान पर छिपा रहता है। विवरण-मनुष्य क्षेत्र के बाहर पाए जाने वाले इन यह अपने डंक का उपयोग किसी विशेष परिस्थिति पक्षियों के पंख सदा खुले या विस्तृत होते हैं। उत्पन्न होने पर ही करता है। इसके डंक का विष मनुष्य के लिए तो इतना खतरनाक विदंसग [विदंसक] प्रश्नव्या. 1/20 नहीं होता लेकिन अन्य जीवों के लिए बहुत घातक सिद्ध Crested Hawk Eagle-शाहबाज, शिखी श्येन हो सकता है। बिच्छु जब मनुष्य को डंक मारता है तब उकाब, शिकरा, चिपका, चपाक। देखें-उलाण वह डंक के माध्यम से काटे हुए स्थान पर विष छोड़ देता है। इसका विष ऐंठन तथा अस्थाई पक्षाघात भी वियग्घ [व्याघ्र] ला सकता है। __Tiger-बाघ देखें-वग्घी मादा बिच्छु नर बिच्छु से काफी बड़ी और गुस्सैल होती है। वह नर बिच्छु के छोटे से भी अपराध को क्षमा नहीं विलय [विलय] भग. 12/61 करती और उसे मार कर खा जाती है। इसके बच्चों Golden oriole-विचित्र पंख वाला पतंगा। की संख्या 25 से 30 तक होती है, जिनको लाद कर देखें-पीलक इधर-उधर घूमा करती है। विरली [विरली] उत्त. 36/147 विचित्तपक्ख [विचित्रपक्ष] प्रज्ञा. 1/51 sala A Kind of Cricket-झिंगुर की एक जाति। Moth of many Colour wings-विचित्र पंख वाला देखें-भिंगारी (शृंगरीटक) पतंगा। देखें-पतंग विराल [विडाल] आ.चू. 1/52 ज्ञाता. 1/1/178 विचित्रपत्तए [विचित्रपत्रक] उत्त. 36/148 उत्त. 32/13 दसा. 7/24 Butterfly of many colour wings-विचित्र पंख Wild cat-वन बिलाव (बिल्ला)। वाली तितली। देखें-किण्हपत्त। आकार-सामान्य विलाव से बड़ा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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