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________________ जैन आगम प्राणी कोश ये बड़े खूंखार होते हैं। कभी-कभी ये एक दूसरों को मार डालते हैं। 1 छेलिय [छेलिय] जम्बू. 3/31 Lamb-छोटी बकरी देखें- अय (अज) जंबु [जंबुक] प्रश्नव्या. 3/9 Jeckal - सियार, गीदड़ । देखें- कोल्लग जमग [जमक] जीव. टी. पृ. 286 Black Winged Kite - शकुनि, कपासी, मसुनवा, कृष्णपक्ष चील, जमग । आकार - जंगली कौआ से बड़ा । लक्षण - एक नाजुक मिजाज बाज, जो ऊपर से राख जैसा धूसर तथा नीचे से सफेद होता है। आंखों के ऊपर काली धारी और कंधों पर काले धब्बे होते हैं । विवरण - भारत, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी घने जंगलों और सूखे मैदानों में रहना पसंद नहीं करता। शिकार को पकड़ने के लिए अपने अचल पंखों को शरीर से ऊपर उठाए हुए धीरे-धीरे नीचे उतरता है। जमीन से कुछ दूर पहले पंख बंद कर शिकार पर गिरकर पंजों से पकड़ लेता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave Black Winged Kite] जरग्गव [जरद्गव] सू. 1/3/38 अणु. 3/36 Old Ox - बूढ़ा बैल देखें- आवल्ल जरुल [जरुल] प्रज्ञा. 1 / 51 Beetle of Tree-वृक्ष का भृंग, जरुल, कृमिकोश । आकार - तितली से कुछ छोटा । 1 लक्षण - यह वृक्षों के पत्तों को खाकर अपना जीवन यापन करता है । शरीर का रंग हल्का काला जिसमें कहीं-कहीं लाल धब्बे होते हैं विवरण- विशेष रूप से जरुल और शहतूत के वृक्षों पर पाई जाने वाली मादा कीट पत्तों पर अंडे देती है। अंडे क्रमशः लाव, प्यूपा की अवस्थाओं से गुजर कर Jain Education International तितली के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclopedia in Colour, जानवरों की दुनिया ] 15 जलकारि [जलकारिन्] प्रश्नव्या. 1/10 उत्त. 36/148 Lobster, Crab-केकड़ा, जलकारि, जलचरा (उ.प्र.) आकार - शरीर का आकार गोल, चपटा, लम्बा अनेक प्रकार का । लक्षण - एक फीट तक की लम्बाई वाले इस प्राणी का 47 Hermit orah Spider शरीर कई भागों में विभक्त होता है। अपने पांच जोड़े पैरों में से चार को यह चलने के काम में लाता है। अगले जोड़े जो कि चिमटे के समान होते हैं, उनसे शिकार पकड़ता है। केकड़े की आंख एक बाहर निकले हिस्से पर होती है, जिससे ये किसी भी दिशा में देख सकते हैं। For Private & Personal Use Only विवरण- केकड़ों की अनेक प्रजातियां हैं, जो अधिकांशतः समुद्रों एवं उनके किनारों पर पाई जाती । आंखों की अपेक्षा इनमें सूंघने व स्पर्श करने की शक्ति ज्यादा होती । यह जीवित व मृत दोनों प्रकार के कीटों को खाता है। हरमिट नामक केकड़ा अपनी रक्षा के लिए घोंघे अथवा शंख के खाली घर में घुस जाता है। इसी घर को लादे वह सौ मील से भी अधिक. की दूरी तय कर लेता है। यह अपने वजन से दस-बारह गुणा वजन लादे आसानी से घूम फिर सकता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, Incyclopedia in colour, जानवरों की दुनिया ] जलचारिय [जलचारिक] प्रश्नव्या. 1 / 10 Crab, Lobster-केकड़ा देखें-जलकारि ERINEL hiwe aniqla www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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