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________________ जैन आगम प्राणी कोश Incyclopedia in colour सचित्र विश्व कोश] खुरदुग [क्षुरदुक] सू. 2/3/84 Skin Insect-चर्म कीट। आकार-लगभग जूं के समान। लक्षण-शरीर का रंग हल्का लाल-भूरा। मुंह पर संडासी की तरह एक डंक-सा होता है। जिसके द्वारा यह खून पीता है। विवरण-यह जूं आदि के परिवार का ही सदस्य है। जो पशुओं के शरीर के ऊपर पैदा होता है और अपना पूरा जीवन परजीवी के रूप में बिताता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सूत्रकृतांग चूर्णि पृ. 381] मिट्टी में ही ।बल बनाते हुए आगे बढ़ते हैं और साथ साथ भोजन भी करते जाते हैं। वरसात के दिनों में अक्सर जमीन पर रेंगते हए दिखाई देते खुल्लय [क्षुल्लय] प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/49 Shells-समुद्री शंख के आकार के छोटे शंख। देखें-संखगण [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Incyclopedia in colour सचित्र विश्व कोश, फसल पीड़क कीट] गंड [गण्ड] प्रज्ञा. 1/65 जम्बू. 4/13 दसा. 10/14 गंडूयलग [गण्डूपदक] प्रज्ञा. 1/49 Rinoceros-गेंडा (दो सींग वाला गेंडा) खग्ग, गंड। Aworm Found in the abdomen-गिंडोला, पेट विवरण-वर्तमान में एक मात्र अफ्रीका में पाए जाने की कृमि। वाले गेंड़े की नाक पर दो सींग होते हैं। इनमें से नीचे देखें-कुच्छिकिमिय वाला सींग बड़ा एवं ऊपर वाला छोटा होता है। इन सींगों की लम्बाई 2 फीट तक होती है। राजा-महाराजाओं गन्धग [गन्धक दसवै. 2/8 के शिकार के शौक के कारण भारतीय उपमहाद्वीप तथा A kind of Snake-गन्धक सर्प जावा में दो सींग वाले गेडों का नामोनिशान ही मिट विवरण-गन्धक जाति में उत्पन्न सर्प मंत्रवादी के चुका है। द्वारा बुलाए जाने पर मृत्यु के भय से अपना विष वापस शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-खग्ग (गेंडा) ण पी लेते हैं। प्राणी-शास्त्रज्ञ इस मान्यता को विज्ञान की कसौटी पर अभी तक सिद्ध नहीं कर पाए हैं। गंडूयलग [गण्डूपदक] प्रज्ञा. 1/49 शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-अगन्धग Earth worm-केंचुआ। समाजागा [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-अ.चू.पृ. 45, नि.चू. आकार-पतले एवं मोटे रबड़ की भांति।शि पृ. 87] लक्षण-शरीर का रंग हल्का लाल तथा सफेद । शरीर कई छल्लों से बना होता है। एक लम्बे केंचुए के शरीर गंधहत्थि [गंधहस्तिन] ज्ञाता. 1/63, 1/5/16 भग. में 100 छल्ले तक हो सकते हैं। विवरण-तालाब, नदी आदि के किनारे की मिट्टी तथा Elephant of good breed-श्रेष्ठ हाथी नमी वाले स्थानों की मिट्टी में पाए जाने वाले केंचुए देखें-कुंजर 1/7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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