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________________ 32 सुगठित शरीर । झबरीली पूंछ और न सिकुड़ने वाले पंजों से युक्त पतले पैर । विवरण- भारतीय जंगलों एवं पहाड़ों पर रहने वाला यह प्राणी प्रायः श्मशान में देखने को मिलता है। यह मरे हुए जानवरों को खाना पसंद करता है । रात्रि के समय गांव के बाहर आकर हूआ हूआ की आवाज करता 1 कोल्हुल [कोल्हुक] आव. चू. पृ. 465 Jackal - गीदड़, सियार । देखें - कोल्लग विम कोसिकारकीड [कोशिकारकीट] प्रश्नव्या. 3/22 Sikl-Worm, Silk-cocoon - रेशम का कीड़ा आकार-लट, कृमि के समान । लक्षण - प्यूपा अवस्था में यह कीट लट के सदृश होता है। जो अपने ग्रंथि से निकलने वाले पदार्थ के द्वारा रेशम के धागे का निर्माण करता है । विवरण- शहतूत के वृक्ष पर पाए जाने वाले इस कीट में एक विशेष ग्रंथि होती है। जिसे रेशम ग्रंथि कहा जाता है। इन ग्रंथियों से एक विशेष प्रकार का पदार्थ उत्पन्न होता है । इल्लियां (Caterpillar) इस पदार्थ का उपयोग कर धागे सदृश संरचना बनाती हैं। यह धागे को अपने चारों ओर लपेट लेती हैं। इल्ली के चारों ओर रेशम का धागा लिपट जाने से गोल रचना बन जाती है। जिसे कृमिकोश या कोकून कहा जाता है। कृमिकोश में इल्लियां प्यूपा अवस्था में बदल जाती हैं। कृमिकोश को गर्म पानी में डालकर पश्विर्धित हो रहे कीट को मारकर रेशम निकाला जाता है। Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश कोहंगक, कोरंग [कोभंगक] औप. 6 Bronze Winged Jacana - जलकोपी (बंगाली), पीपी, कुनजै, क्रोधांगक, कामंयुग । देखें - कामंजुग । खंजण [खंजन] औप. 13 Large Pied Wagtail- मामुला, खंजन, बृहत् शबल खंजन | RETTIG आकार - बुलबुल से बड़ा । लक्षण - काली और सफेद पक्ष वाली बड़ी वैगटेल चिड़िया, जो रंग-रूप में मैडपाई रॉबिन से मिलती-जुलती है। विवरण - विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। नर किसी पहाड़ी से सुरीला गीत गाता रहता है। गीत मैग्पाई रॉबिन के गीत से काफी मिलता जुलता है। खग्ग [खड्ग] खग्गी [खड्गी] ठाणं. 5/72, ज्ञाता. 1/5/35, प्रश्नव्या 1/6 Rhinoceros - गेंडा (एक सींग वाला जंगली पशु) आकार - लगभग 6 फीट ऊंचा, 12 फीट लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काला एवं मोटी-मोटी परतें युक्त । नाक पर एक या दो सींग, जिनकी लम्बाई 2 फीट तक होती है। शरीर का वजन 2 टन तक । शरीर की खाल पर एक भी बाल नहीं होता । विवरण- गेंडों की पांच प्रजातियां पाई जाती हैंअफ्रीका का सफेद गेंडा (सैरेटोथीरियस साइमस), For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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