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________________ 20 जैन आगम प्राणी कोश युक्त होता है। नर के गले पर एक काला-कालर-सा Blue Rock Pigeon-धूसर रंग का कबूतर। होता है। आकार-घरेलू कौवे से कुछ छोटा।। विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक जातियां पाई लक्षण-स्लेटी-धूसर रंग का लगभग 13 इंच लम्बा जाती हैं। यह मनुष्य की बस्ती से अलग नहीं रह शरीर। गर्दन पर चमकीले हरे पंखों का एक कंठ-सा सकता। संध्या के समय अनेक गौरेया मिलकर बहुत होता है, जिसके नीचे एक बैंगनी पट्टी होती है जो सूर्य शोर मचाती हैं। नर जोर से एकरागी हसी, हसी, हसी की रश्मियां पड़ने पर चमकती हैं। मुख का सिरा काला या चियर, चियर, चियर का गीत गाता है। होता है, जिसके अगल-बगल में सफेद धारी होती है। पैरों का रंग-हल्का गुलाबी। कविंजल [कपिंजल] सू. 2/2/6, 20 उवा. 7/5 विवरण-विश्वभर में इसकी लगभग 289 प्रजातियां प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/79 पाई जाती हैं। कबूतर एक शाकाहारी पक्षी है, जो Grey Partrige-तीतर, सफेद तीतर। अनाज के दाने, कंकर आदि खाकर अपना पेट भरता देखें-कविल और तीतर है। अपने भोले स्वभाव के कारण पक्षियों में इसका विशेष स्थान है। इसे घोंसला बनाना नहीं आता इसलिए कविल[कपिला भग. 7/119, ज्ञाता. 1/16/269-276 मकान के कोनों, छज्जों, मिट्टी के टीलों या कुओं की Black Partrige-काला तीतर, कविल। दरारों में थोड़ा सा घास फूस डालकर मादा अंडे दे देती आकार-धूसर तीतर के तुल्य। है। गूटर-गू, गूटर-गूंकी बोली द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'कोलम्बा लीविआ 'गैमैलिक' कहा जाता है। इसकी याददाश्त अन्य पक्षियों की अपेक्षा तीव्र होती है। 'पैसिंजर' नामक कबूतर अपनी लम्बी उड़ानों के लिए प्रसिद्ध कसाहिय [कषाधिक, कषाहिक] प्रज्ञा. 1/71 Snake of White-Red Colour-गेरुएं रंग का सर्प, कषाधिक सर्प। लक्षण-शरीर का रंग भूरा काला। जिसमें सफेद रंग की काफी चित्तियां तथा धारियां होती हैं और सिर तथा पंखों पर सिंदूरी रंग का प्रभाव होता है। विवरण-इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। जैसेपहाड़ी भटतीतर, हन्डेरी काला तीतर, चित्रित तीतर आदि । यह पेड़ों पर बैठकर बोलती रहती है। पीछा करने पर पंखों को फड़फड़ाकर बड़ी तेज उड़ान भरती है। आकार-4-5 फीट लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग गेरुवां । पूंछ पतली एवं लम्बी। कवोय, कवोयग, कवोत, कवोतग [कपोत] सू. विवरण-भारत, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पाए जाने 2/2/58 भग, 15/52 प्रश्नव्या. 2/12 जीवा.. वाला यह सर्प देखने में अत्यन्त सुन्दर लगता है। कषाय 3/598 की अधिकता के कारण इसे क्रोधी सर्प भी कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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