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________________ देशी शब्दकोश अवओडय - गले को मरोड़ना ( विपा १।२।१४ ) । अवओडयबंधणय - वह व्यक्ति जिसके गले और हाथों को मरोड़कर उनको पृष्ठभाग के साथ रस्सी से बांध दिया जाए ( अंत ६।२२ ) । अवंग - कटाक्ष (दे १ । १५) । अवंगुणित्ता - खोलकर (भ १५।१४२) । अवंगणेत्ता - खोलकर ( ज्ञा १।१६।६५ ) | अवंगत - - उद्घाटित ( बृभा ४०७१) । अवंग - उद्घाटित (भ २।६४) । अवकड्ढित-- पराजित - 'अवरुड्ढते पराहूते पराजित परम्मुहे' (अंवि पृ १०८ ) । अवकीरिअ -- विरहित ( दे १।३८ ) | अवकोडक – गले को मरोड़ना, कृकाटिका - गले के पिछले भाग को नीचे ले जाना ( ३।१२) । अवक्करस - मद्य, मदिरा (दे १।४६ ) | अवग - जलीय वनस्पति - विशेष ( सू २।३।४३ ) | अवगद --- विस्तीर्ण, विशाल (दे १।३० ) । अवगर – कूड़ा (भटी पृ ७३० ) । अवगूढ --- अपराध (दे १।२० ) । अवचुल्ल --- छोटा चूल्हा ( निचू ३ पृ १०९ ) । अवचुल्ली – छोटा चूल्हा - 'चुल्लीए समीवे अवचुल्ली' (निचू ३ पृ १०९ ) । अवच्छुरण — क्रोध के वशीभूत होकर अनर्गल बोलना - किमिह जुत्तं पिअम्म अवच्छुरणं' (दे १।३६ वृ ) । अवछुरण - कोध के वशीभूत होकर अनर्गल बोलना (दे १।३९) । अवज्झर -- निर्भर - विशेष (ज्ञाटी प १०६ ) । अवज्झस १ कटि, कमर । २ कठिन (दे ११५६ ) । अवठंभ - ताम्बूल (दे १।३६ ) | अवड - १ कूप । २ आराम, बगीचा (दे १।५३ ) । अवडअ -- १ तृण- पुरुष, घास की बनी हुई पुरुषाकृति ( दे १।२० ) । २ कूप । ३ बगीचा ( दे १।५३ वृ ) | २३. अवsक्किअ -- कूप आदि में गिरकर मरा हुआ, जिसने आत्महत्या की हो वह (दे १।४७) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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