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________________ १४ देशी शब्दकोश अण्णे--१ महाराष्ट्र में प्रयुक्त तरुणी स्त्री के लिए संबोधन-शब्द-'अण्णे त्ति मरहठ्ठसु तरुणित्थीसामंतणं' (द ७११६; अचूपृ १६८)। २ महाराष्ट्र में वेश्याओं के लिए प्रयुक्त चाटु वचन-'मरहट्ठविसए आमंतणं दोमूलइखरगाणं चाटुवयणं अण्णेत्ति (जिचू पृ २५०) । अण्णोसरिअ--अतिक्रान्त, उल्लंधित (दे ११३६) । अण्हेअअ-...भ्रान्त (दे ११२१)। अतितिण-बड़-बड़ न करने वाला, बकवास न करने वाला (द ८।२६) । अतिकिमण-अलस, मंथर-अलसमभारो भीरू अतिकिमणो मंथरो त्ति वा' (अंवि पृ २४१)। अतित्थित-अतिक्रान्त (व्यभा १० टी प ६) । अतिप्पणया--अश्रु न बहाना (भ ७।११४) । अतिर-निरन्तर-'अतिर णिरंतरं भण्णति' (जीभा १६८०) । अतिराउल-स्वामीकुल–'अति राउले इति देशीपदं, स्वामिकुलमित्यर्थः' (प्रज्ञाटी प २५३) । अतिस-अप्रीति (अंवि पृ १२) । अतीत्थित-अतिक्रान्त (व्यभा १० टी प ६) अत्ता-१ फूफी । २ सासू । ३ सखी (दे ११५१)। अत्थ-अनवसर, अकस्मात् (दे १।१४)। अत्थक्क-अकस्मात् (से १११२४) । २ अखिन्न । ३ अनवरत । अत्थग्घ-१ मध्यवर्ती (ओनि ३४) । २ अगाध, गहरा । ३ आयाम, लंबाई। ४ स्थान (दे ११५४) । अत्थणिउर--संख्या-विशेष (भ ५।१८) । अत्थणिउरंग-संख्या-विशेष (भ ५।१८)। अत्थभिल्ल-रीछ (निचू २ पृ ६३) । अत्थयारिआ-सखी, सहेली (दे १।१६) । अत्थाक्क-अकस्मात् (से १११२४)। अत्थार--सहायता, सहयोग (दे १।१६)। अत्थारिय-कर्मकर, मूल्य लेकर खेत में धान आदि काटने वाला नौकर 'अत्थारिएहिं तु ये मूल्यप्रदानेन शालिलवनाय कर्मकरा:' (व्यभा ६ टी ३८)। अत्थाह--१ अगाध, गहरा, कंडा। २ आयाम, लम्बाई । ३ स्थान । ४ मध्यवर्ती, बीच का (दे ११५४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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