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________________ देशी शब्दकोश अअंख-निःस्नेह, स्नेह रहित (दे १।१३) । अइगय-१ मार्ग का पश्चाद् भाग । २ समागत । ३ प्रविष्ट (दे ११५७) । अइण-गिरि-तट, तराई, पहाड़ का निम्न-भाग (दे १।१०) । अइणिअ-लाया हुआ (दे १४२४) । अइर-१ अतिरोहित (पिनि ५६०)। २ गांव का मुखिया, राज्य द्वारा नियुक्त गांव का अधिकारी (दे १११६) । अइरजुवइ-नववधू (दे ११४८)। अइराउल-स्वामीकुल-'देशीपदमेतत्' (प्रज्ञाटी प २५३) । अइराणी-१ इन्द्राणी (अंवि पृ २२३; दे ११५८)। २ सौभाग्य प्राप्त करने के लिए इन्द्राणी का व्रत करने वाली स्त्री (दे ११५८) । अरिप-कथाबंध, कहानी (दे १।२६) । अइरिका-देवी-विशेष, इन्द्राणी (अंवि पृ ६६) । अइहारा-विद्युत्, बिजली (दे १।३४) । अंक-निकट (दे ११५) । अंककरेलुय-जलज-वनस्पति (आचूला १।११३) । अंकार-सहायता, मदद (दे ११६)। अंकिअ-आलिंगन (दे ११११) । अंकिल-नर्तक (ज्ञाटी प ४४) । अंकिल्ल-नट (औपटी पृ ४) । अंकुसइअ-अंकुश के आकार वाला (दे ११३८) । अंकेल्ल नट (निचू २ पृ ४६८) । अंकेल्लण-चाबुक-विशेष (जंबू ३।१०६) । अंकेल्लि -अशोक वृक्ष (दे ११७) । अंकोल्ल-१ अंकोठ वृक्ष (प्रज्ञा ११३५॥१)। २ गुच्छ-विशेष (प्रज्ञा ११३७३५) । ३ नर्तक (ज्ञाटी प ४६) । अंगवडण-रोग (दे ११४७) । अगवलिज्ज-शरीर को मोड़ना (दे ११४२) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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