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________________ ५०० देशी शब्दकोश वोसिरण-व्युत्सर्जन | संवती-नदी वोहित्त-प्रवहण, नौका संविड्डाणा-कुलीन व्युड-विट, भडुआ संसाअ-१ आरूढ । २ चूर्णित । व्वे-संबोधन-सूचक अव्यय ३ पीत । ४ उद्विग्न संसोइअ-आरूढ संसूडिय-संभग्न समली-शृगाली संसोसिअ-१ चूर्णित । २ भीत । सइकोडी-वज्र ३ आरूढ । ४ उद्विग्न सइत्त-मुदित सकप्प-१ आर्द्र। २ अल्प। सइत्तय-१ स्वस्थ । २ मुदित ३ धनुष्य । ४ प्रचुर सइलासिय-मयूर सखर-गीध सइसिलिप्प-तरुण, युवा सचराह-एकाएक, शीघ्र संकेल्लिअ-संकुचित सचीसग-वाद्य-विशेष संखुड्डुण-सुरतक्रीडा सच्चवण-अवलोकन, दर्शन संखोडी-व्यतिकर सच्चवय-द्रष्टा संगहण-जारिणी-युगल सच्चीसय—वाद्य-विशेष संगोल्ल-समूह सच्छिह-सदृश संच-१ शरीर-बन्ध । २ समूह सज्झतिया-बहिन संचडिय-आरूढ सझडप्प- झटपट संचाइय-१ समर्थ । २ आरूढ सट्ट-१ सटा हुआ। २ विनिमय, संचुल्ल-चुगलखोर सट्टा संजत्ति-तैयारी, निर्माण सट्टि-विनिमय संजत्तिअ--तैयार किया हुआ सडा-प्रलंब केश संजत्ति-तैयारी सडिअग्गिअ-१ बढाया हुआ ! संजोइय-निरीक्षित, दृष्ट २ प्रेरित संढी - ऊंटनी, सांढनी सड्डी-विनिमय संतिय-सम्बन्धी सत्त—गत, गया हुआ संतो- मध्य-'अंतो संतो च मध्यार्थे' सद्धा-दोहद (साधर गुज) संपुअ - भूताविष्ट सन्नित्थ-परिहित, पहना हुआ संफिट्ट-संयोग सन्नुमिय-आच्छादित संभडिय-भिडा हुआ सप्पडोड्डिय-जहरीले वृक्ष का फल संभिन्न-आघात सप्पत्तिआ–बालिका संभेड-संघट्टन, आक्रमण | सप्पा--कांची Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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