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________________ परिशिष्ट १ ४९५ बट्टइ-निश्चित वपशअ-भार वट्टउ -कटोरी वप्प-१ पिता। २ बाप रे वट्टमग-मार्ग वप्पाहय–चातक पक्षी बट्टाविअ-समापित वप्पिअ-परिपूर्ण घटु-पात्र-विशेष वप्पिक्की-पैतृकी बटुत्तिविडि-बर्तनों या घड़ों को वप्पिवअ-खेत एक पर एक चिनना (वडेर वप्पीह-कुमार राजस्थानी) वम्मल-कोलाहल वडप्फर-बड़ा फलक वम्मीसण-कामदेव वडलसर-जपवान् वम्मुल्लरण--मर्मवेधक वडिणाय-घर्घर कण्ठ वम्मुल्लूरिय-मर्मविद्ध वडिया-उद्देश वयंग-फल-विशेष पडिसाअ-टपका हुआ वयणुल्ल-मुख वडमग-मार्ग, रास्ता वयाल--कोलाहल वडुइअ-चर्मकार वयालिय-व्याप्त वडारय-महत्तर वरंडिया-छोटा बरंडा बडिम-१ टपका हुआ। २ बड़ाई, वरडा--१ तैलाटी, कीट-विशेष । श्लाघा २ दंश-भ्रमर वांडुल-बड़ा, महान् वरत्त-१ पीत । २ पतित । वड्डुअ-बड़ा ३ पेटित, संहत वरय-वराक, बेचारा बड्डया-वाटिका वरह-रज्जु वरालय-वाहन-विशेष वड्ढुअर-बृहत्तर वराहव-राहु वढ -१ मूक । २ मूढ । ३ वट वरिल्ल~-वस्त्र वढत्तण-मूढता वरुय-वृक, भेड़िया वणनत्तडिअ-पुरस्कृत, आगे किया | वलइल्ल-वल्लभ हुआ वलक्किअ-उत्संगित, उत्संग-स्थित वणसुण-भेड़िया वलत्थ--पर्यस्त वत्ताहण-रस्सी पर नाचने वाला वलविअ-जपवान् नट वलहिय-बरामदा धन्द्र-समूह | वलाएल्लण-वल्लभ पड्ढारय-बड़ा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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