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________________ परिशिष्ट १ ४५३ | ओउल्लिय-पुरस्कृत, आगे किया ऊगिय-अलंकृत ऊढ-त्यक्त ओऊल - प्रलंब कमिणिय--प्रोञ्छित, पोंछा हुआ ओंदुर--चूहा ऊमिण्ण-प्रोखणक, चूमना ओक्खलिअ-त्रुटित ऊरिसंकिअ-रुद्ध, रोका हुआ ओग्गालिर-पगुराने वाला, चबाई ऊससिअ---तकिया हुई वस्तु को पुनः चबाने वाला ऊसाअत्त-खेद से शिथिल ओग्गिव-नीहार ऊसुग-मध्यभाग ओच्छंदिअ-१ अपहत । ऊसुम्मिअ-तकिया २ व्यथित, पीड़ित ओच्छल्ल-चोर ओच्छोअअ-घर की छत के प्रान्त एक्कंतर-संग्राम भाग से गिरता पानी एक्कक्कम-परस्पर, अन्योन्य ओज्जर-भीरु एक्कट्टय-एक ओर ओज्झरय-निर्भर एक्कल-प्रबल ओज्झरिअ-१ प्रक्षिप्त । एक्कल्ल-१ बलवान् । २ अकेला २ विक्षिप्त एक्कल्लपुडिंगय-फुहार, बूंदाबूंदी ओट्टअ-अभिभूत एक्कसिरिआ—शीघ्र, जल्दी ओट्टद्धय-नियंत्रित एक्कोवर-सहोदर ओडिगा-ओढ़नी एत्तण-अधुना, इस समय । ओढण-१ वस्त्र । २ अवगुंठन एलविल-धनवान्, पुण्यवान् ओढिय-ओढा हुआ ओणल्लिय-अवनत ओअंदण-१ नाश । २ जबरदस्ती ओप्प-ओप, चमक से छीनना ओमंस-अपसृत, अपगत ओअम्मअ-अभिभूत, पराभूत ओमल्ल-घनीभूत, कठिन ओअल्ल-अवनत-अवनते देशी ओमहिअ-पुरस्कृत ओअल्लअ-विप्रलब्ध, प्रतारित | ओमिस-अप्रवृत्त ओअल्लिअ-कंपित ओम्माहिय-उत्कण्ठित ओअल्लिय-आद्रित ओरल्लि-मधुर-दीर्घ शब्द ओआमिअ--अभिभूत, पराजित ओराल-सिंहनाद ओइल्लअ-वंचित, विप्रलब्ध ओरालिय-आक्रन्दन ओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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