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________________ देशी शब्दकोश हियउड्डावण - १ मंत्र-तंत्र से चित्त को आकृष्ट करना (ज्ञा १।१४३४३ ) | २ चित्त को शून्य करने का प्रयोग (विपा ११२/७२ ) । हिरडिक्क - पाणजातीय लोगों का यक्ष- विशेष (व्यभा ७ टीप ५५ ) | हिरडी - शकुनिका, चील-पक्षी (दे ८६८) । हिरिंब - छोटा तालाब (दे ।६९ ) । ४३६ हिरिबेर - खस-खस के दाने - "हिरिबेरं णाम उसीरं' ( सूचू १ पृ ११६ ) । हिरिमंथ - चना ( निभा १०३० ; दे ८।७० ) । हिरिमिथ चना ( दनि ९५६ ) | हिरिमिक्क - मातंगों का यक्ष - विशेष - ' मातंगा तेसि आडंबरो जक्खो हिरिमित्रको वि भण्णति' (निचू ४ पृ २३८ ) । हिरिलि - कन्द - विशेष (भ ७।६६ ) | हिरिवंग - लाठी, डंडा (दे ८।६३) । हिला - १ बालू रेती (दे ८।६६ ) । २ भुजा, हाथ । हिलिमित्थ - चना ( दअचू पृ १९२ ) । हिलिहलय - ज्वालारहित अंगारे - गिज्जाया हिलिहलया इंगाला ते भवे मुणेतव्वा' (जीभा १५३१) । हिल्ला- - बालुका, बालू (दे ८।६६) । हिल्लिय - कीट - विशेष, श्रीन्द्रियजन्तु की एक जाति ( प्रज्ञा ११५० ) । हिल्लिरी - जाल - विशेष ( विपा १८१६ ) । हिल्लूरी ——— लहरी, तरंग (दे ८।६७) । हिल्लोडण - खेत में पशुओं को रोकने के लिए की जानेवाली आवाज (दे दा६९) । हिसोहिसा - स्पर्धा (दे ८६९) । होर -- १ सूई की भांति तीक्ष्ण नोक वाला काष्ठ आदि पदार्थ (बृ ६।३; दे ८७० ) । २ भस्म- -' केचित् ही रशब्दं भस्मन्यपि प्रयुञ्जते ' (वृ) । ३ अन्त - भाग । हीरणा - लज्जा (दे ८१६८ ) । हीरय-- बारीक छोटा तृण ( जीव ३१६२२) । होसमण -- हेषा, अश्व की आवाज, हिनहिनाहट (८६८) । हुअहुअंत-अव्यक्त ध्वनि करता हुआ, बड़बड़ाता हुआ - 'मूयव्व हुअहुअंतो तव छिज्जतमाईसु' (आवहाटी २ पृ २०५)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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