SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 489
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२० देशी शब्दकोश सीसक्क - शिरस्राण, शिर की रक्षा के लिए पहना जाने वाला फौलादी टोप (दे ८३४) । सीसपुच्छ — पीठ की चमड़ी ( सूनि ६८ ) | सीसय - प्रवर, श्रेष्ठ (दे ८३४) । सोहंड - मत्स्य (दे ८ २८ ) | सोहसराय - विशेष प्रकार के मोदक (पिनि ४६१) । सोहणही - १ करमन्दिका, करौंदी का वृक्ष (दे ८ । ३५) । २ करौंदी का पुष्प - 'सीहणही करमन्दिका । तत्कुसुममित्यन्ये' (वृ) | सोहपुच्छ - पीठ की चमड़ी - कप्पति कागणीमंसगाणि हिदंति सीहपुच्छाणि' ( सूनि ७७) । सीहरअ - आसार, तेजवर्षा (दे ८।१२) । सीहलय - वस्त्र आदि को धूपित करने का यन्त्र (८३४) । सोहलिआ - १ शिखा, चोटी । २ नवमालिका, नवारी का गाछ (दे ८५५) । श्रीहलिपासग - वेणी बांधने के लिए काम में आने वाला ऊन या स्वर्ण का कंकण ( सू १/४/४२) । सुअणा - अतिमुक्तक वृक्ष (दे ८१३८ ) | सुई - बुद्धि (दे ८१३६) । सुंकय - किशारु, जो आदि का अग्रभाग (दे ८३८ वृ) । सुंकल - किशारु, धान्य आदि का अग्रभाग (दे ८ ३८) । संकलितृण - विशेष (भ २१।१९ ) । सुकलिकडय— क्रीडा - विशेष - यह खेल वृक्ष को केन्द्र मानकर खेला जाता है | खेलने वाले सभी बच्चे वृक्ष की ओर दौड़ते हैं । जो बच्चा सबसे पहले वृक्ष पर चढ़कर उतर आता है, वह विजेता माना जाता | विजेता बच्चा पराजित बच्चों के कंधों पर बैठकर दौड़ के प्रारम्भ बिन्दु तक जाता है - भगवं च पमदdr as वेहि समं सुकलिकडएण अभिरमति' ( आवचू १ पृ २४६ ) | सुंग - वर्षााण के उपकरण का एक प्रकार - वालो सुत्तो सुंगो' ( जीविप पृ १७ ) । संघिअ— घ्रात, सूंघा हुआ (दे ८|३७ ) | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy